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    परमाणु हमले पर तुरंत जवाब देगा भारत.. हिंद महासागर में ‘किला’, पाकिस्तान बेचैन

    हिंद महासागर में भारत की बढ़ती परमाणु प्रतिरोध (न्यूक्लियर डेटरेंस) क्षमता से पाकिस्तान में बेचैनी बढ़ गई है। भारत की यह रणनीति चीन और पाकिस्तान की किसी भी आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए बनाई गई है। पाकिस्तानी मीडिया में इस पर काफी चर्चा हो रही है, जिससे उनकी घबराहट साफ नजर आती है।


    सतत समुद्री प्रतिरोध की रणनीति

    पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत ने अपनी समुद्री रणनीति को ‘सतत समुद्री प्रतिरोध (CASD)’ पर केंद्रित कर दिया है। इसका मतलब है कि भारत हर समय कम से कम एक परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) को समुद्र में तैनात रखेगा। यह रणनीति भारत को किसी भी अचानक परमाणु हमले की स्थिति में तुरंत जवाबी हमला करने की क्षमता देती है। इस कदम से भारत अपने विरोधियों को यह संदेश देता है कि हमला करने से पहले वे सौ बार सोचें, क्योंकि भारत की जवाबी परमाणु हमले की क्षमता हमेशा तैयार है।


    भारत की बढ़ती परमाणु पनडुब्बी और मिसाइल क्षमता

    भारत ने 2016 में आईएनएस अरिहंत और 2024 में आईएनएस अरिघाट को सेवा में शामिल करके अपनी समुद्री ताकत को तेजी से बढ़ाया है। इसके अलावा, भारत S-4 और S5 श्रेणी की परमाणु पनडुब्बियों पर भी काम कर रहा है।

    इन पनडुब्बियों को भारत की K-सीरीज मिसाइलों से लैस किया जा रहा है:

    • K-15: 750-1,500 किमी की मारक क्षमता।
    • K-4: 3,500-4,000 किमी की मारक क्षमता, जिसका सफल परीक्षण हो चुका है।
    • K-5 (विकासधीन): 5,000+ किमी की मारक क्षमता, जो MIRV (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल) से लैस होगी।
    • K-6 (विकासधीन): 8,000 किमी की हाइपरसोनिक मिसाइल क्षमता।

    यह सभी मिसाइलें भारत की दूसरी स्ट्राइक क्षमता का हिस्सा हैं। पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति अपना रहा है और समुद्र में अपनी किलेबंदी कर रहा है।


    प्रोजेक्ट वर्षा और गुप्त नौसैनिक बेस

    पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञ इस्कंदर रहमान ने अपनी किताब “मर्करी वाटर्स” में बताया है कि भारत प्रोजेक्ट वर्षा के तहत विशाखापत्तनम में एक गुप्त भूमिगत पनडुब्बी बेस बना रहा है। यह बेस अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी में भारत की पनडुब्बियों को गुप्त रूप से संचालित करने में मदद करेगा, जिससे भारत की CASD रणनीति और मजबूत होगी।


    परमाणु हथियारों की दौड़ और समाधान

    भारत का लक्ष्य भविष्य में 10 से 12 परमाणु पनडुब्बियां बनाना है, ताकि चीन और पाकिस्तान दोनों का एक साथ मुकाबला किया जा सके। पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे क्षेत्रीय हथियारों की दौड़ और तेज होगी। वे सुझाव देते हैं कि अचानक होने वाली तबाही से बचने के लिए भारत और पाकिस्तान को नौसैनिक हॉटलाइन स्थापित करनी चाहिए, जैसा शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ ने किया था।

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