नेपाल में युवा पीढ़ी (जेन-जी) के बढ़ते आक्रोश ने देश में बड़े पैमाने पर राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल पैदा कर दी है। प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कई मंत्रियों के आवासों में आग लगा दी है। इसके अलावा, संसद, सुप्रीम कोर्ट और अन्य सरकारी इमारतों को भी निशाना बनाया गया है। भारत ने नेपाल में बिगड़ते हालात पर चिंता व्यक्त की है और एहतियात के तौर पर दिल्ली से काठमांडू जाने वाली एअर इंडिया, इंडिगो और नेपाल एयरलाइंस की उड़ानों को रद्द कर दिया गया है। भारत-नेपाल सीमा पर भी अलर्ट जारी कर दिया गया है।आगजनी और तोड़फोड़ का तांडव
चितवन जिले में प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन कार्यालय, चुनाव कार्यालय, जिला न्यायालय, और भू-राजस्व कार्यालयों में आग लगा दी। इस आगजनी में महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज जलकर खाक हो गए। भरतपुर जैसे अन्य इलाकों में भी नगरपालिका और वार्ड कार्यालयों पर हमला किया गया। नेपाली कांग्रेस, यूएमएल और माओवादी केंद्र जैसी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के स्थानीय कार्यालयों को भी जला दिया गया। भरतपुर के एक सुपरमार्केट में लगी आग पर घंटों बाद भी काबू नहीं पाया जा सका।
पूर्व उप प्रधानमंत्री को जेल से छुड़ाया गया
भ्रष्टाचार के आरोप में नक्खू जेल में बंद राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व उप प्रधानमंत्री रबि लामिछाने को प्रदर्शनकारियों ने जेल से छुड़ा लिया। उनकी रिहाई के बाद, लगभग 1,500 कैदी भी जेल से फरार हो गए। लामिछाने अब प्रधानमंत्री पद के संभावित दावेदार माने जा रहे हैं।
आंदोलन का चेहरा बने सुदन गुरुंग
इस पूरे आंदोलन का चेहरा 36 वर्षीय सुदन गुरुंग माने जा रहे हैं, जो “हामी नेपाल” नामक एनजीओ के कर्ताधर्ता हैं। उनका संगठन 2015 से सक्रिय है और युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है। गुरुंग लगातार वीडियो संदेश जारी कर प्रदर्शनकारियों को एकजुट कर रहे हैं और वर्तमान प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
हामी नेपाल: युवाओं को एकजुट करने वाला संगठन
हामी नेपाल संगठन ने प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा करने के लिए इंस्टाग्राम और डिस्कॉर्ड जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का प्रभावी ढंग से उपयोग किया। संगठन ने ग्रुप चैट के माध्यम से लगातार निर्देश दिए, जिससे हजारों युवा सड़कों पर उतर आए। इस संगठन का असल मुखिया संदर्क रूइट नामक एक सर्जन है, जिसे संगठन ने अपना मेंटर बताया है।
नेपाल में यह स्थिति देश की राजनीतिक स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। नेताओं के घर, राजनीतिक दलों के दफ्तर और सरकारी इमारतों पर हमले के साथ-साथ जेलों से कैदियों के भागने की घटना ने हालात को और भी गंभीर बना दिया है। इस अशांति के बीच, भारत नेपाल के साथ अपनी सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा रहा है और स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है।