तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक+ ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होने की उम्मीद है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से तेल की कीमतें कम करने के लिए ओपेक+ देशों पर दबाव बना रहे थे, और यह फैसला उसी दबाव का परिणाम माना जा रहा है।
हालांकि, वैश्विक मांग में संभावित कमी को देखते हुए अक्टूबर से उत्पादन बढ़ाने की रफ्तार धीमी हो सकती है। ओपेक+ सूत्रों के अनुसार, समूह ने अप्रैल से ही उत्पादन में कटौती की अपनी पुरानी रणनीति में बदलाव कर दिया था। इसके बाद से अब तक समूह लगभग 25 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) उत्पादन बढ़ा चुका है, जो वैश्विक मांग का लगभग 2.4% है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव कम होगा, जिससे भारत जैसे तेल आयातक देशों को काफी राहत मिलेगी। भारत अपनी जरूरत का अधिकांश कच्चा तेल आयात करता है, और कीमतें कम होने से देश का आयात बिल घटेगा। इससे रुपये की स्थिति भी मजबूत होगी और महंगाई पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब रूस और ईरान पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 66 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी हुई हैं। ओपेक+ की यह नई रणनीति, बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के साथ-साथ अमेरिकी दबाव को भी संतुलित करने का एक प्रयास है। हालांकि, इस वृद्धि का कीमतों पर अब तक कोई खास असर नहीं पड़ा है, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है, जिसका सीधा लाभ भारतीय उपभोक्ताओं और उद्योगों को होगा।