मध्य प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल, महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवायएच) में हुए ‘चूहाकांड’ ने प्रदेश सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। हाल ही में अस्पताल में चूहों ने दो नवजात शिशुओं के अंगों को कुतर दिया, जिसके बाद दोनों की मौत हो गई। एक नवजात की तीन उंगलियां चूहे खा गए, जबकि दूसरे के सिर और कंधे कुतरे गए।
लापरवाही और जवाबदेही पर सवाल
इस घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन और सफाई का जिम्मा संभालने वाली ‘एजाइल’ नामक कंपनी पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि यदि कंपनी ने समय पर पेस्ट कंट्रोल किया होता, तो यह घटना टाली जा सकती थी। चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी को हर महीने औसतन दो लाख रुपये का भुगतान किया जाता है। जनवरी 2025 से अब तक 20 लाख रुपये दिए जाने के बावजूद, कंपनी ने केवल 150 चूहे ही भगाए।
दोनों नवजातों की मौत के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे ‘हत्या’ करार दिया है। इस मामले के सामने आने के बाद अस्पताल के दौरे, जांच और निरीक्षण की औपचारिकताएं शुरू हो गई हैं। हालांकि, इस पूरे प्रकरण में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।
अस्पताल प्रशासन की सफाई और जांच
इस घटना के बाद, अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि, अभी तक किसी भी अधिकारी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। यह घटना अस्पताल की लचर व्यवस्था और स्वच्छता की कमी को उजागर करती है, जहां मरीजों, खासकर नवजातों की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
यह घटना न केवल प्रशासन की नाकामी है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में मूलभूत व्यवस्थाएं भी नहीं सुधारी जा सकी हैं।