अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर अपने फैसले का बचाव किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए भारत और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार घाटे का जिक्र किया है। ट्रंप ने अपनी पोस्ट में यह समझाने की कोशिश की है कि उन्होंने भारत पर टैरिफ इसलिए लगाए, क्योंकि उनका मानना था कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर बहुत अधिक कर वसूल रहा था। उनका यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन से लौटने के कुछ समय बाद आया है।
अपनी सफाई में, ट्रंप ने लिखा, “बहुत कम लोग यह समझते हैं कि हम भारत के साथ बहुत कम व्यापार करते हैं, जबकि वे हमारे साथ बहुत ज्यादा व्यापार करते हैं। दूसरे शब्दों में, वे हमें भारी मात्रा में सामान बेचते हैं, लेकिन हम उन्हें बहुत कम बेचते हैं। अमेरिका उनका सबसे बड़ा ‘ग्राहक’ है।” उन्होंने आगे कहा कि यह दशकों से “पूरी तरह से एकतरफा रिश्ता” रहा है। ट्रंप ने दावा किया कि इसका मुख्य कारण यह है कि भारत ने अमेरिका से आयात होने वाले सामानों पर किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे ऊंचे टैरिफ लगाए हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियां भारत में अपना सामान नहीं बेच पा रही हैं।
ट्रंप ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि व्यापार के अलावा, भारत अपनी ऊर्जा और रक्षा जरूरतों के लिए अमेरिका की तुलना में रूस से ज्यादा तेल और हथियार खरीदता है। ट्रंप की ये टिप्पणियां उनकी “अमेरिका फर्स्ट” व्यापार नीति को दर्शाती हैं, जिसके तहत वे आयात पर टैरिफ लगाकर अमेरिकी उद्योगों को संरक्षण देने की वकालत करते रहे हैं। उनका यह रुख भारत जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में तनाव का कारण बना था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही में रूसी और चीनी राष्ट्रपतियों के साथ हुई मुलाकातों के बाद, ट्रंप ने भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर अपने फैसले का बचाव किया है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत कर रहा है।