पंचशील समझौता, जिसे ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत’ के रूप में भी जाना जाता है, भारत और चीन के बीच 29 अप्रैल 1954 को हुआ एक ऐतिहासिक समझौता था। तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और चीन के पहले प्रीमियर चाऊ एन लाई के बीच हुए इस समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति, सम्मान और सहयोग को बढ़ावा देना था।
पंचशील के पांच सिद्धांत:
- एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान: दोनों देशों ने एक-दूसरे की सीमाओं और राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करने का वादा किया।
- आपसी अनाक्रमण (Non-Aggression): दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमला न करने की प्रतिबद्धता जताई।
- आपसी अहस्तक्षेप (Non-Interference): दोनों ने एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का संकल्प लिया।
- समानता और पारस्परिक लाभ (Equality and Mutual Benefit): दोनों देशों ने आपसी संबंधों में समानता और लाभ के सिद्धांतों पर काम करने का फैसला किया।
- शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व (Peaceful Co-existence): दोनों ने शांतिपूर्वक एक-दूसरे के साथ रहने का संकल्प लिया।
एस. जयशंकर ने क्यों की आलोचना?
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कई मौकों पर पंचशील समझौते की आलोचना की है। उनकी आलोचना का मुख्य आधार यह है कि चीन ने इस समझौते का पालन नहीं किया। 1962 में भारत पर चीन का आक्रमण इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि चीन ने ‘आपसी अनाक्रमण’ और ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व’ जैसे सिद्धांतों को ताक पर रख दिया था। जयशंकर का मानना है कि यह समझौता आदर्शवाद पर आधारित था, लेकिन चीन ने इसका उपयोग भारत को कमजोर करने के लिए किया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने इन सिद्धांतों का दृढ़ता से पालन किया, जबकि चीन ने इसे भारत की कमजोरी माना।
पीएम मोदी-जिनपिंग की बैठक के बाद चीन ने क्यों किया जिक्र?
हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक के बाद, चीन ने पंचशील समझौते का जिक्र किया है। चीन का यह कदम कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
- सीमा विवाद को सुलझाने का प्रयास: चीन शायद यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वह अभी भी भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंधों को महत्व देता है।
- संबंधों में विश्वास बहाली: गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट को कम करने के लिए चीन पंचशील का जिक्र कर रहा है।
- वैश्विक मंच पर शांति का संदेश: चीन इस समझौते का जिक्र करके वैश्विक समुदाय को यह संदेश देना चाहता है कि वह भारत के साथ शांतिपूर्ण तरीके से समस्याओं को सुलझाने के लिए तैयार है।
- आंतरिक और बाहरी दबाव: चीन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव है कि वह अपनी विस्तारवादी नीतियों को रोके। ऐसे में पंचशील का जिक्र करके वह एक जिम्मेदार राष्ट्र की छवि पेश करना चाहता है।
पंचशील समझौता भारत-चीन संबंधों में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसकी आलोचना जयशंकर जैसे नेताओं द्वारा चीन के धोखेबाज रवैये के कारण की जाती है। हालांकि, मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में चीन इसका जिक्र कर रहा है, जो शायद भारत के साथ तनाव कम करने की उसकी इच्छा को दर्शाता है।

