अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच रिश्तों में तब खटास आई, जब 17 जून को हुई एक फोन कॉल के दौरान ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम का श्रेय लेने की कोशिश की। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों के बीच मई महीने में हुए संघर्ष को रुकवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि उस समय तक संघर्ष पूरी तरह थम चुका था।द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इस बातचीत में, ट्रंप ने यह भी कहा कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने वाला है। अखबार के अनुसार, यह पीएम मोदी के लिए एक सीधा इशारा था कि भारत भी ऐसा ही करे। हालांकि दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री मोदी इस बात से बिल्कुल असहमत थे। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में ट्रंप से कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ संघर्ष विराम दोनों देशों की आपसी बातचीत का नतीजा है और इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं रही।
यह रिपोर्ट अमेरिका और भारत के दर्जन भर अधिकारियों से बातचीत पर आधारित है, जिन्होंने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर जानकारी दी। उनके अनुसार, मोदी की इस असहमति और नोबेल पुरस्कार के बारे में कुछ न कहने से ट्रंप के अहंकार को ठेस पहुँची, जिससे दोनों नेताओं के बीच तनाव पैदा हुआ।
ट्रंप के न्योते को मोदी ने ठुकराया?
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि जून में जी7 सम्मेलन के दौरान जब ट्रंप ने पीएम मोदी को वॉशिंगटन आने का न्योता दिया, तो मोदी ने अपने पहले से तय कार्यक्रमों का हवाला देते हुए इसे ठुकरा दिया। उस समय, पाकिस्तान के सेना प्रमुख फ़ील्ड मार्शल आसिम मुनीर भी अमेरिका में मौजूद थे। रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप, मोदी और मुनीर के बीच आमने-सामने की बैठक कराने या हाथ मिलवाने का मौका तलाश रहे थे, जिसे भारत ने भांप लिया और मोदी ने यह आमंत्रण स्वीकार नहीं किया।
“मृत अर्थव्यवस्था” का बयान चुभ गया
एक और घटनाक्रम में, ट्रंप ने पिछले महीने भारत पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिसमें से 25% रूस से तेल खरीदने के लिए था। जब इस फैसले के बाद भी भारत ने कोई समझौता नहीं किया, तो ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था को “मृत” करार दे दिया। जर्मन अखबार और जापानी मीडिया ग्रुप निक्केई एशिया ने भी इस बात की पुष्टि की कि ट्रंप की इस तरह की टिप्पणियां मोदी को पसंद नहीं आईं।
मोदी ने कॉल का जवाब नहीं दिया
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने जर्मन मीडिया समूह एफएजेड की एक रिपोर्ट का भी समर्थन किया, जिसमें कहा गया था कि पीएम मोदी ने ट्रंप की कई बार बातचीत की पेशकश ठुकरा दी थी। ट्रंप एक छोटे व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना चाहते थे, लेकिन भारतीय अधिकारियों को यह डर था कि ट्रंप सोशल मीडिया पर इस समझौते को लेकर कुछ भी पोस्ट कर सकते हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि टैरिफ समझौते में कोई प्रगति न होने के बाद ट्रंप ने कई बार पीएम मोदी से बात करने की कोशिश की, लेकिन इन अनुरोधों का कोई जवाब नहीं दिया गया। हालाँकि, व्हाइट हाउस ने बाद में स्पष्ट किया कि ट्रंप ने मोदी से बात करने का प्रयास किया था। यह घटनाक्रम दोनों देशों के बीच संबंधों में जटिलताओं को दर्शाता है, जहाँ व्यक्तिगत मतभेद भी कूटनीतिक संबंधों पर असर डाल सकते हैं।