‘सैयारा’ जैसी सुपरहिट प्रेम कहानी के बाद बॉलीवुड का रुझान एक बार फिर से रोमांटिक फिल्मों की ओर बढ़ रहा है। हाल ही में रिलीज़ हुई ‘धड़क 2’ के बाद अब निर्देशक तुषार जलोटा अपनी नई फिल्म ‘परम सुंदरी’ लेकर आए हैं, जो एक हल्की-फुल्की रोमांटिक फिल्म है। हालांकि, यह फिल्म कोई नयापन नहीं ला पाई और कई जगह शाहरुख खान-दीपिका पादुकोण की ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ की याद दिलाती है।
कहानी: उत्तर बनाम दक्षिण की साधारण प्रेम कहानी
फिल्म की कहानी एक अमीर लड़के परम (सिद्धार्थ मल्होत्रा) की है, जो बार-बार अपने पिता (संजय कपूर) के पैसे पर बिज़नेस में असफल हो जाता है। पिता उसे 30 दिनों में खुद को साबित करने का आखिरी मौका देते हैं। परम एक ‘सोलमेट’ ऐप में निवेश करता है, जो उसे बताता है कि उसकी सोलमेट सुंदरी (जाह्नवी कपूर) केरल में रहती है। दिल्ली से केरल पहुंचा परम पहली नजर में ही सुंदरी पर दिल हार बैठता है। सुंदरी सोशल मीडिया और एल्गोरिदम से दूर, एक आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी लड़की है। उत्तर और दक्षिण की दो बिल्कुल अलग दुनिया होने के बावजूद, दोनों एक-दूसरे के करीब आने लगते हैं। लेकिन मुश्किल यह है कि सुंदरी की शादी उसके बचपन के दोस्त से तय हो चुकी है। अब देखना यह है कि क्या परम और सुंदरी का प्यार इन बाधाओं को पार कर पाएगा या नहीं।
फिल्म का रिव्यू: धीमी शुरुआत, साधारण प्रस्तुति
निर्देशक तुषार जलोटा की नॉर्थ बनाम साउथ की इस प्रेम कहानी में नयापन लाने का मौका था, लेकिन उनकी प्रस्तुति इसे खास नहीं बना पाई। फिल्म का पहला हाफ काफी धीमा है और इसमें पंच की कमी महसूस होती है। इंटरवल के बाद कहानी थोड़ी रफ्तार पकड़ती है, लेकिन फिर भी इसमें कुछ भी नयापन नहीं लगता। रोम-कॉम के पारंपरिक फॉर्मूले और घिसे-पिटे सांस्कृतिक टकराव का चित्रण बार-बार महसूस होता है। हालांकि, फिल्म का क्लाइमैक्स दर्शकों को थोड़ा एंटरटेन करता है।
तकनीकी रूप से, संथाना कृष्णन रविचंद्रन की सिनेमैटोग्राफी ने केरल के सुंदर दृश्यों को बखूबी कैद किया है। संगीत की बात करें तो सचिन-जिगर का ‘परदेसिया’ गाना कानों को सुकून देता है, और ‘सुंदरी के प्यार में’ बैकग्राउंड में बजता हुआ अच्छा लगता है। आर्टवर्क और कॉस्ट्यूम डिज़ाइन पर भी मेहनत साफ झलकती है। फिल्म यह मैसेज देने की कोशिश करती है कि सच्चा प्यार डेटिंग ऐप के लेफ्ट-राइट स्वाइप से कहीं ज्यादा बढ़कर है।
कलाकारों का प्रदर्शन
अभिनय के मोर्चे पर, सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अपने रोमांटिक और असमंजस में फंसे हीरो के किरदार को ईमानदारी से निभाया है। उनका आकर्षक लुक भी पर्दे पर प्रभावी लगता है। जाह्नवी कपूर ने भी मलयाली लड़की सुंदरी के किरदार को प्रभावशाली ढंग से निभाया है। उन्होंने भाषा के लहजे से लेकर बॉडी लैंग्वेज तक पर अच्छा काम किया है। सिद्धार्थ और जाह्नवी की केमिस्ट्री फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है। सहायक कलाकारों में मनजोत कॉमिक रिलीफ देते हैं, जबकि संजय कपूर पिता के किरदार में संतुलित प्रदर्शन करते हैं। कुल मिलाकर, ‘परम सुंदरी’ एक ऐसी फिल्म है जो एक बार देखी जा सकती है, लेकिन इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है जो लंबे समय तक याद रहे।