मध्य प्रदेश में महिलाओं के शराब पीने को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के एक बयान ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। पटवारी ने दावा किया कि पूरे देश में मध्य प्रदेश की महिलाएं सबसे ज्यादा शराब पीती हैं, जिसके बाद भाजपा ने उन पर प्रदेश की आधी आबादी का अपमान करने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला है।
हालाँकि, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के आधिकारिक आँकड़े पटवारी के इस दावे के उलट सच्चाई पेश करते हैं। इस सर्वे के अनुसार, मध्य प्रदेश की महिलाएं शराब पीने के मामले में देश में 19वें स्थान पर हैं, जबकि कुछ अन्य रिपोर्टों में यह स्थान 14वें नंबर पर भी बताया गया है। सर्वे के अनुसार, राज्य में केवल 1.6 प्रतिशत महिलाएं ही शराब का सेवन करती हैं, जो राष्ट्रीय औसत 0.7 प्रतिशत से भी कम है। ये आँकड़े साफ बताते हैं कि पटवारी का बयान तथ्यों पर आधारित नहीं था, बल्कि एक राजनीतिक आरोप था।
महिलाओं में शराब के सेवन के मामले में पूर्वोत्तर के राज्य सबसे आगे हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश (24.2%), सिक्किम (16.2%), असम, तेलंगाना और गोवा जैसे राज्य इस सूची में शीर्ष पर हैं। इन राज्यों में शराब का सेवन सांस्कृतिक रूप से अधिक स्वीकार्य माना जाता है।
भाजपा ने पटवारी के बयान को ‘लाडली बहनों’ और महिलाओं का अपमान बताते हुए उनसे माफी की मांग की है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कांग्रेस ने महिलाओं को शराबी कहकर उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि पटवारी ने सरकार की गलत नीतियों के कारण राज्य में बढ़ती नशे की लत को उजागर किया है। इस विवाद ने राज्य में एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है, जहाँ एक तरफ आँकड़ों की बात हो रही है तो दूसरी तरफ महिलाओं के सम्मान की।