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    ट्रंप के टैरिफ को पीएम मोदी का जवाब.. स्वदेशी पर दिया जोर, की यह अपील

    अमेरिका द्वारा भारत पर 50% तक का टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “स्वदेशी” पर फिर से जोर दिया है। उन्होंने व्यापारियों से अपील की है कि वे अपनी दुकानों के बाहर ‘मेरे यहां स्वदेशी बिकता है’ का बोर्ड लगाएं और लोगों से त्योहारों के मौसम में केवल भारत में बने सामान खरीदने का आग्रह किया है। यह पहल अमेरिकी दबाव का सामना करने और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मोदी ने कहा कि त्योहारों का मौसम है। नवरात्रि, विजयादशमी, धनतेरस, दिवाली त्योहार आ रहे हैं। ये हमारी संस्कृति, आत्मनिर्भरता के भी उत्सव होने चाहिए। मैं आपसे एक बार फिर आग्रह करता हूँ कि हमें अपने जीवन में एक मंत्र अपनाना होगा: हम जो भी खरीदेंगे वह ‘मेड इन इंडिया’ होगा, स्वदेशी होगा।

    यह पहली बार नहीं है जब भारत में स्वदेशी आंदोलन को बल दिया गया है। आजादी से पहले, महात्मा गांधी और अन्य नेताओं ने ब्रिटिश सामानों का बहिष्कार करने और भारतीय उत्पादों को अपनाने का आह्वान किया था, जिसने स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आज, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे कार्यक्रम उसी भावना को आगे बढ़ा रहे हैं।

    कितनी कारगर होगी यह पहल?

    विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री की यह अपील तात्कालिक रूप से जनता में देशभक्ति की भावना जगा सकती है और स्वदेशी उत्पादों की मांग बढ़ा सकती है। हालांकि, इसकी सफलता कई कारकों पर निर्भर करेगी:

    1. उत्पादों की गुणवत्ता: क्या भारतीय उत्पाद अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरते हैं? अगर गुणवत्ता में कमी होगी, तो ग्राहक वापस विदेशी सामान की ओर लौट सकते हैं।
    2. मूल्य निर्धारण: क्या स्वदेशी उत्पाद विदेशी सामानों की तुलना में प्रतिस्पर्धी कीमत पर उपलब्ध हैं?
    3. सरकारी समर्थन: क्या सरकार घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए ठोस नीतियां और सब्सिडी प्रदान करेगी, खासकर छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) के लिए?

    अमेरिका के टैरिफ से भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हो रहा है, खासकर सी-फूड और कपड़ा जैसे क्षेत्रों में। ऐसे में, यह पहल एक रणनीतिक कदम हो सकती है जो घरेलू मांग को बढ़ाकर निर्यात पर निर्भरता कम करने में मदद करेगी। हालांकि, यह एक लंबी प्रक्रिया है और इसकी सफलता के लिए सरकार, उद्योग और उपभोक्ताओं के संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता होगी।

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