हरतालिका तीज हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है।
तिथि और शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष (2025) यह व्रत 26 अगस्त, मंगलवार को रखा जाएगा।
- तृतीया तिथि प्रारंभ: 25 अगस्त 2025, दोपहर 12:34 बजे।
- तृतीया तिथि समाप्त: 26 अगस्त 2025, दोपहर 01:54 बजे।
- पूजा का शुभ मुहूर्त (सुबह): 26 अगस्त, सुबह 05:56 बजे से 08:31 बजे तक।
पूजा विधि
हरतालिका तीज का व्रत निराहार और निर्जला होता है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके बाद, शुभ मुहूर्त में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी से बनी प्रतिमाओं की पूजा की जाती है।
- पूजा स्थल को अच्छी तरह से सजाएं।
- एक चौकी पर शिव-पार्वती और गणेश की मिट्टी की प्रतिमाएं स्थापित करें।
- व्रत का संकल्प लें।
- फूल, फल, मिठाई, बेलपत्र, धतूरा और सुहाग की सामग्री (चूड़ी, सिंदूर, बिंदी आदि) अर्पित करें।
- हरतालिका तीज की कथा सुनें या पढ़ें।
- अंत में, आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें।
शुभ योग
इस साल हरतालिका तीज पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस व्रत के महत्व को और भी बढ़ा रहे हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन साध्य योग, शुभ योग और रवि योग का संयोग बन रहा है। ये योग पूजा के लिए बहुत ही शुभ माने जाते हैं और इनका फल कई गुना अधिक मिलता है।
व्रत का महत्व
इस व्रत का नाम ‘हरतालिका’ दो शब्दों ‘हरत’ और ‘आलिका’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘सहेली द्वारा अपहरण’। पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती के पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से कराना चाहते थे, लेकिन पार्वती शिवजी से विवाह करना चाहती थीं। उनकी सहेली ने उन्हें जंगल में छिपा दिया, जहां उन्होंने कठोर तपस्या करके शिवजी को प्रसन्न किया। इसी घटना के कारण इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ा। यह व्रत पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में मधुरता के लिए किया जाता है।