क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बुढ़ापे को रोक सकता है और हमें हमेशा जवान रख सकता है? यह सवाल अब सिर्फ साइंस फिक्शन नहीं रहा, बल्कि हकीकत के करीब आता दिख रहा है। OpenAI ने सिलिकॉन वैली की एक स्टार्टअप कंपनी रेट्रो बायोसाइंसेज (Retro Biosciences) के साथ मिलकर एक क्रांतिकारी GPT-4b माइक्रो चैटबॉट विकसित किया है। यह चैटबॉट बुढ़ापे की प्रक्रिया को उलटने (रिवर्स एजिंग) की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
यह माइक्रो चैटबॉट खास तौर पर बूढ़े हो चुके सेल्स (कोशिकाओं) को फिर से युवा सेल्स में बदलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रोटीन के उत्पादन और कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करता है, जिससे कोशिकाओं का जीवन चक्र और स्वास्थ्य सुधरता है।
कैसे काम करता है यह चैटबॉट?
रेट्रो बायोसाइंसेज के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह चैटबॉट मानव शरीर के जैविक डेटा का विश्लेषण करता है। यह उन जीन्स और प्रोटीन की पहचान करता है जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। इसके बाद, यह विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश जारी करता है, जो बूढ़े हो चुके सेल्स को फिर से जवान करने में मदद कर सकते हैं।
इस चैटबॉट को GPT-4b की उन्नत क्षमताओं का उपयोग करके बनाया गया है। यह लाखों वैज्ञानिक शोध पत्रों और जैविक डेटासेट का विश्लेषण कर सकता है, जिससे यह मानव शरीर में होने वाले जटिल जैविक परिवर्तनों को बेहतर ढंग से समझ पाता है।
हालांकि, यह अभी शुरुआती चरण में है और इसका परीक्षण जानवरों पर किया जा रहा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह तकनीक जल्द ही मानव परीक्षण के लिए तैयार हो जाएगी। अगर यह सफल होता है, तो यह चिकित्सा विज्ञान में एक क्रांति ला सकता है। यह न सिर्फ बुढ़ापे को रोकने में मदद करेगा, बल्कि उम्र से संबंधित बीमारियों जैसे अल्जाइमर और कैंसर के इलाज में भी सहायक हो सकता है। इस खोज ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों और निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।