भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के तट पर एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया। यह परीक्षण ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लगभग साढ़े तीन महीने बाद हुआ है, जो स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के विकास की दिशा में भारत के मजबूत इरादों को दर्शाता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर डीआरडीओ, भारतीय सशस्त्र बलों और रक्षा उद्योग को बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि इस अद्वितीय उड़ान परीक्षण ने देश की बहु-स्तरीय वायु रक्षा क्षमता को स्थापित किया है और दुश्मन के हवाई खतरों से महत्वपूर्ण सुविधाओं की क्षेत्रीय रक्षा को मजबूत करेगा।
आईएडीडब्ल्यूएस एक बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। इसमें क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM), एडवांस्ड वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) मिसाइलें और एक उच्च-शक्ति वाली लेजर-आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) शामिल हैं। यह प्रणाली लड़ाकू विमानों, ड्रोन, क्रूज मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे विभिन्न हवाई खतरों का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
यह सफल परीक्षण भारत की “आत्मनिर्भर भारत” पहल के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि विदेशी प्रणालियों पर हमारी निर्भरता को भी कम करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर “मिशन सुदर्शन चक्र” की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली विकसित करना है। यह परीक्षण उस दिशा में एक और बड़ा कदम है।