उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के सात महीने बाद इसमें बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। इन बदलावों में विवाह पंजीकरण के नियमों को संशोधित किया गया है और दंड के नए प्रावधान जोड़े गए हैं। इन संशोधनों का एक प्रमुख हिस्सा उन लोगों को दंडित करना है जो धोखे से या पहले से शादीशुदा होते हुए भी लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं।
मुख्य बदलाव
उत्तराखंड सरकार का उद्देश्य उन लोगों पर नकेल कसना है जो धोखे से किसी रिश्ते में शामिल होते हैं। नए नियमों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा है और फिर भी लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा है, तो इस तरह की जानकारी मिलने पर रजिस्ट्रार तुरंत स्थानीय थाने को इसकी सूचना देगा। इसके बाद दोषी व्यक्ति पर कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह कदम लिव-इन रिलेशनशिप में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए उठाया गया है। UCC के तहत, उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य है। यदि कोई व्यक्ति बिना पंजीकरण के एक महीने से अधिक समय तक लिव-इन में रहता है, तो उसे तीन महीने तक की जेल या ₹10,000 तक का जुर्माना हो सकता है। गलत जानकारी देने पर भी तीन महीने तक की जेल या ₹25,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
विधेयक का उद्देश्य
इन संशोधनों का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना और लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े धोखे और धोखाधड़ी को रोकना है। सरकार का मानना है कि ये कड़े प्रावधान समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देंगे और महिलाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान करेंगे। हालांकि, कुछ लोगों ने इन प्रावधानों की आलोचना करते हुए इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है। उत्तराखंड हाई कोर्ट में भी इन नियमों को चुनौती दी गई है, लेकिन कोर्ट ने अभी तक याचिका को खारिज नहीं किया है।