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    ट्रंप का दावा-मैंने रुकवाए 6 युद्ध.. पूरी तरह से शांति स्थापित कराई; जानें क्या है सच्चाई?

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में दावा किया है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान छह युद्धों को रुकवाया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध भी शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने सिर्फ संघर्ष विराम नहीं कराया, बल्कि पूरी तरह से शांति स्थापित की। हालांकि, इस दावे की सच्चाई को लेकर काफी विवाद है।

    ट्रम्प के दावे: ट्रम्प ने अपने भाषणों और सोशल मीडिया पर कई बार दावा किया है कि उन्होंने कई संघर्षों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने विशेष रूप से भारत-पाकिस्तान तनाव, कांगो और रवांडा के बीच संघर्ष, और रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के प्रयास का उल्लेख किया है। ट्रम्प ने कहा कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था और विमानों को गिराया जा रहा था, तो उन्होंने हस्तक्षेप किया और दोनों देशों को बातचीत के लिए राजी किया।

    सच्चाई क्या है? ट्रम्प के इन दावों की सच्चाई पर कई विश्लेषकों और सरकारों ने सवाल उठाए हैं।

    • भारत-पाकिस्तान: भारत और पाकिस्तान ने ट्रम्प के इस दावे को हमेशा खारिज किया है कि उन्होंने दोनों देशों के बीच युद्ध को रोका। भारत सरकार का कहना है कि यह उनका आंतरिक मामला था और इसमें किसी बाहरी मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं थी। हालांकि, यह सच है कि ट्रम्प ने दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए बातचीत करने की पेशकश की थी, लेकिन भारत ने इसे स्वीकार नहीं किया था।
    • अन्य संघर्ष: ट्रम्प ने कांगो और रवांडा जैसे देशों में शांति स्थापित करने का दावा किया है, जबकि इन देशों में संघर्ष कई सालों से जारी है और अमेरिका की भूमिका सीमित रही है।
    • रूस-यूक्रेन: ट्रम्प ने यह भी दावा किया है कि अगर वह राष्ट्रपति होते तो यूक्रेन में युद्ध कभी शुरू नहीं होता और वह इसे 24 घंटे में खत्म कर सकते हैं। हालांकि, उनका यह दावा भी सवालों के घेरे में है। उनके कार्यकाल में रूस ने यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर कब्जा किया था और वर्तमान में भी युद्ध जारी है।

    निष्कर्ष: ट्रम्प के दावे अक्सर उनकी “अमेरिका फर्स्ट” विदेश नीति और व्यक्तिगत छवि को मजबूत करने के लिए होते हैं। हालांकि, इन दावों को अक्सर तथ्यों का समर्थन नहीं मिलता है। कई बार उनकी बयानबाजी को संघर्षों को सुलझाने से ज्यादा, राजनीतिक लाभ के लिए देखा जाता है। उनकी ‘शांति’ की पहल को अक्सर अमेरिका के विरोधियों पर दबाव बनाने और अपने सहयोगियों पर टैरिफ लगाने के रूप में देखा गया है, जैसा कि उन्होंने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत के साथ किया है।

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