भारत और चीन के बीच सीमा पर शांति और रिश्तों में सुधार की कोई भी कोशिश अमेरिका के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन सकती है। अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना है, और इस रणनीति में भारत एक प्रमुख सहयोगी है।
अमेरिका भारत को चीन के खिलाफ एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में देखता है। गलवान घाटी की घटना के बाद से अमेरिका ने भारत को सैन्य खुफिया जानकारी और कूटनीतिक समर्थन देकर इस साझेदारी को और मजबूत किया है। अमेरिका के नेतृत्व में बना ‘क्वाड’ (QUAD) जैसे समूह, जिसमें भारत भी शामिल है, इसी रणनीति का हिस्सा हैं।
शांति से बिगड़ सकता है समीकरण
अगर भारत और चीन अपने सीमा विवाद को पूरी तरह सुलझा लेते हैं, तो भारत की अमेरिका पर निर्भरता कम हो सकती है। ऐसी स्थिति में, भारत की विदेश नीति में बदलाव आ सकता है, जिससे वह चीन के खिलाफ बने किसी भी गठबंधन से दूरी बना सकता है। अमेरिका को यह डर है कि भारत-चीन के संबंधों में सुधार से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसका प्रभाव कम हो जाएगा, क्योंकि इस क्षेत्र में उसके सबसे बड़े साझेदार का झुकाव अब चीन की ओर नहीं रहेगा। एक स्थिर और सामान्य भारत-चीन संबंध अमेरिका की चीन-विरोधी रणनीति को कमजोर कर सकता है। यह अमेरिका के लिए एक ‘खतरे की घंटी’ की तरह है, क्योंकि यह उसके भू-राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
डोभाल की चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने आज चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब दोनों देश पूर्वी लद्दाख में सीमा पर शांति बहाल करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इस मुलाकात के दौरान, डोभाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी चीन यात्रा की पुष्टि भी की, जो दोनों देशों के संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
यह बैठक भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों (SR) की 24वें दौर की वार्ता का हिस्सा थी। दोनों पक्षों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव कम करने और स्थिरता बनाए रखने पर जोर दिया। डोभाल ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि सीमा पर पिछले कुछ समय से शांति बनी हुई है और दोनों देशों के बीच संबंधों में सकारात्मक रुझान देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा समय है जब दोनों देश अपने नेताओं द्वारा तय की गई नई दिशा के आधार पर आगे बढ़ सकते हैं।
यह भी बताया गया कि वांग यी अपनी भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे। यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन से ठीक पहले हो रही है, जिसमें पीएम मोदी के भाग लेने की उम्मीद है। पीएम मोदी की यह यात्रा पिछले सात सालों में उनकी पहली चीन यात्रा होगी, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।