भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था। वे तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। पहली बार, उन्होंने 16 मई 1996 से 31 मई 1996 तक 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री का पद संभाला।
इसके बाद, वे 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक दो बार लगातार प्रधानमंत्री रहे। उनका कार्यकाल भारतीय इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है, जिनमें पोखरण-II परमाणु परीक्षण (1998) और कारगिल युद्ध (1999) शामिल हैं।
वाजपेयी एक कुशल वक्ता, कवि और लेखक भी थे। उनकी राजनीतिक विचारधारा राष्ट्रवाद पर केंद्रित थी, लेकिन वे हमेशा अपनी उदारवादी और सर्व-समावेशी सोच के लिए भी जाने जाते थे। उनके शासनकाल में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना और प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू हुईं, जिन्होंने देश के विकास को गति दी।
भारतीय राजनीति में उनके योगदान के लिए, भारत सरकार ने मार्च 2015 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया।
16 अगस्त 2018 को, 93 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद, देश ने एक महान नेता, एक दूरदर्शी राजनेता और एक संवेदनशील इंसान को खो दिया। वाजपेयी को आज भी उनके भाषणों, कविताओं और राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण के लिए याद किया जाता है।
- प्रधानमंत्री कार्यकाल (1998-2004) को कई ऐतिहासिक घटनाओं के लिए जाना जाता है। इनमें सबसे प्रमुख मई 1998 में पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षण थे। इस साहसिक कदम ने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया और दुनिया को चौंका दिया।
- वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के लिए भी कई पहल कीं। फरवरी 1999 में, वह ‘सदा-ए-सरहद’ बस से लाहौर गए और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ ऐतिहासिक ‘लाहौर घोषणा’ पर हस्ताक्षर किए।
- हालांकि, शांति की यह पहल ज्यादा समय तक नहीं चल सकी। कुछ ही महीनों बाद, पाकिस्तान ने कारगिल में घुसपैठ कर दी, जिससे 1999 का कारगिल युद्ध शुरू हुआ। वाजपेयी ने दृढ़ता से स्थिति को संभाला और भारतीय सेना ने अपनी बहादुरी से घुसपैठियों को खदेड़ दिया, जिससे ‘ऑपरेशन विजय’ सफल रहा।
- अटल जी को उनके राजनैतिक कौशल, प्रभावशाली भाषणों और सिद्धांतों पर अडिग रहने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनका जीवन राष्ट्र सेवा और देश की अखंडता को समर्पित रहा।