पांच बार यूपीएससी परीक्षा में असफल होने के बाद भी हार न मानने वाले महाराष्ट्र के लातूर जिले के विशाल नरवाडे की कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है। उन्होंने अपने छठे प्रयास में 91वीं रैंक हासिल कर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में सफलता प्राप्त की और साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प और धैर्य के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
विशाल ने अपनी शुरुआती पढ़ाई महाराष्ट्र में की। पुणे से इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पहले कुछ प्रयास में वे प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाए। इसके बाद उन्होंने अपनी रणनीति बदली और एक बार फिर से तैयारी में जुट गए। विशाल ने कड़ी मेहनत की, अपनी कमजोरियों पर काम किया और एक-एक करके हर बाधा को पार करते गए।
अपनी पांचवीं असफलता के बाद, कई लोगों ने उन्हें सलाह दी कि वे दूसरा विकल्प चुनें। लेकिन विशाल ने अपने लक्ष्य पर विश्वास बनाए रखा। उन्होंने अपनी पिछली गलतियों का विश्लेषण किया और एक नई योजना बनाई। उन्होंने बताया कि उनकी सफलता का सूत्र निरंतरता, सही रणनीति और कड़ी मेहनत है।
विशाल ने कहा कि यूपीएससी की तैयारी में सबसे महत्वपूर्ण है हार न मानना। कई बार असफलता मिलती है, लेकिन हर असफलता एक नया सबक सिखाती है। उन्होंने यह भी बताया कि अपनी तैयारी के दौरान उन्होंने मॉक टेस्ट पर विशेष ध्यान दिया, जिससे उन्हें अपनी कमियों को समझने में मदद मिली।
विशाल नरवाडे की यह कहानी उन सभी उम्मीदवारों के लिए एक मिसाल है जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं और कई बार असफल होने के बाद निराश हो जाते हैं। उनकी कहानी बताती है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, बल्कि यह धैर्य और निरंतर प्रयास का परिणाम है।