लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए लाए गए एक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। इस प्रस्ताव को राज्यसभा में पारित होने के बाद लोकसभा में पेश किया गया था। यह कदम देश की न्यायपालिका में एक बड़ी हलचल पैदा कर रहा है।
इस मामले में स्पीकर ने प्रस्ताव पर विचार करने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ न्यायाधीश करेंगे। इसके अलावा, एक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और एक प्रख्यात न्यायविद भी समिति के सदस्य होंगे। यह समिति जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंपेगी।
जस्टिस वर्मा पर आरोप
यह पूरा मामला तब सामने आया था, जब जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित घर से जला हुआ कैश बरामद हुआ था। इस घटना के बाद उन पर कदाचार और न्यायिक प्रक्रिया में अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे थे। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था। हालांकि, अब इस मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है, जब उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया है।
यह भारत के न्यायिक इतिहास में एक दुर्लभ घटना है। इससे पहले भी न्यायाधीशों को हटाने के कई प्रस्ताव लाए गए हैं, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए थे। इस घटना से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और जवाबदेही पर एक नई बहस शुरू हो गई है। यह मामला अब आगे क्या मोड़ लेता है, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।