एक तरफ अमेरिका रूस पर प्रतिबंधों का दबाव बना रहा है और दूसरी तरफ वह खुद और उसके यूरोपीय सहयोगी देश रूस से तेल खरीद रहे हैं, फिनलैंड के एक शोध संस्थान ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ (CREA) की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए 50% का टैरिफ लगाया है, जिससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है।
CREA की रिपोर्ट में बताया गया है कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से यूरोपीय देशों ने रूस से 515 बिलियन डॉलर से अधिक का तेल और गैस आयात किया है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने भी पिछले कुछ महीनों में रूस से तेल की खरीद जारी रखी है, हालांकि यह खरीद सीधे तौर पर नहीं, बल्कि ‘ट्रैफिक लाइट सिस्टम’ का उपयोग करके की गई है, जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि तेल कहां से आ रहा है।
फिनलैंड के इस संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में अमेरिका और यूरोपीय देशों के इस दोहरे मापदंड पर सवाल उठाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये देश एक तरफ भारत जैसे देशों को रूस से तेल खरीदने पर चेतावनी दे रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ वे खुद अपने आर्थिक हितों के लिए रूस से व्यापार कर रहे हैं। इस खुलासे से यह साबित होता है कि अमेरिका की विदेश नीति में दोगलापन है, और वह सिर्फ अपने हितों को साधने के लिए दूसरों पर दबाव बना रहा है।