उत्तर प्रदेश में भारी बारिश और लगातार पानी छोड़े जाने के कारण गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, जिससे वाराणसी में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। इसका सबसे ज्यादा असर घाटों और तटीय इलाकों पर दिख रहा है।
मणिकर्णिका घाट पर बदली व्यवस्था
वाराणसी का प्रमुख श्मशान घाट, मणिकर्णिका घाट, पूरी तरह से पानी में डूब गया है। इसके कारण शवदाह का काम अब गलियों और छतों पर करना पड़ रहा है, जिससे वहां शवों की लंबी कतारें लग रही हैं। लोगों को अंतिम संस्कार के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह हरिश्चंद्र घाट की भी स्थिति है, जहां अंतिम संस्कार की जगह पानी में डूब चुकी है।
पहली बार बंद हुआ नमो घाट
हाल ही में बने नमो घाट को भी बाढ़ के कारण पहली बार बंद करना पड़ा है। घाट पर पानी भर गया है और यहां लगी मूर्तियां भी जलमग्न हो गई हैं। इसके अलावा, दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट समेत सभी 84 घाट पानी में डूब चुके हैं। विश्वनाथ मंदिर के गंगा द्वार की सीढ़ियां भी पूरी तरह से डूब गई हैं।
उफान पर वरुणा और गोमती
गंगा के उफान पर आने से उसकी सहायक नदियां वरुणा और गोमती भी पलट प्रवाह के कारण उफान पर हैं। वरुणा नदी का पानी तेजी से शहरी और ग्रामीण इलाकों में घुस रहा है, जिससे कई मोहल्ले और गांव जलमग्न हो गए हैं। प्रशासन ने प्रभावित इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना शुरू कर दिया है और राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।