2008 मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने एक चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा है कि जांच के दौरान उन्हें तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उयोगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए मजबूर किया गया था। साध्वी प्रज्ञा ने आरोप लगाया कि उन्हें यातनाएं दी गईं और इन बड़े नेताओं का नाम लेने के लिए दबाव डाला गया।
एनआईए की विशेष अदालत से बरी होने के बाद साध्वी प्रज्ञा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि “मुझे कई लोगों के नाम लेने के लिए कहा गया था, जिसमें राम माधव का नाम भी शामिल था।” उन्होंने दावा किया कि “मैं गुजरात में रहती थी, इसलिए मुझसे मोदी जी का नाम लेने के लिए भी कहा गया। यह सब झूठ बोलने के लिए मुझे प्रताड़ित किया गया था, लेकिन मैंने किसी का नाम नहीं लिया।”
साध्वी प्रज्ञा ने यह भी आरोप लगाया कि जांच अधिकारियों ने उन्हें योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का नाम लेने के लिए भी दबाव डाला था। उन्होंने कहा कि “उन्होंने मुझसे कहा कि यदि मैं इन लोगों का नाम लेती हूं तो वे मुझे नहीं मारेंगे।”
साध्वी प्रज्ञा के इन आरोपों ने एक बार फिर से इस मामले में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। गौरतलब है कि 2008 के मालेगांव बम धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। 17 साल बाद विशेष एनआईए अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सहित सभी सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।