भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर जारी बातचीत में कृषि और डेयरी उत्पादों पर पेंच फंस गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाए जाने के बाद भी भारत ने इन संवेदनशील क्षेत्रों में रियायत देने से साफ इनकार कर दिया है।
कहां फंसा पेंच?
अमेरिका चाहता है कि भारत उसके डेयरी और कृषि उत्पादों के लिए अपने बाजार खोले और उन पर लगे टैरिफ में भारी कटौती करे। लेकिन भारत ने इस मांग को मानने से मना कर दिया है। इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं:
- किसानों की आजीविका: भारत का कृषि क्षेत्र करोड़ों लोगों की आजीविका का आधार है। भारत सरकार का तर्क है कि अगर अमेरिकी कृषि उत्पादों को रियायत दी जाती है, तो भारतीय किसान प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे, क्योंकि अमेरिका अपने किसानों को भारी सब्सिडी देता है। भारत अपने किसानों के हितों की रक्षा करना चाहता है।
- धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता: डेयरी उत्पादों के मामले में एक बड़ा मुद्दा सामने आया है। अमेरिका में मवेशियों को अक्सर मांस और जानवरों के अवशेष से बने चारे पर पाला जाता है। भारतीय संस्कृति और धर्म में गाय को पवित्र माना जाता है और शाकाहारियों की संख्या बहुत अधिक है। ऐसे में, इन उत्पादों को भारत में अनुमति देना धार्मिक भावनाओं के खिलाफ माना जाता है। भारत ने स्पष्ट किया है कि इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा, किसानों के हित और धार्मिक-सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखकर ही कोई फैसला लेगा। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत फिलहाल रुकी हुई है, और भारत अमेरिका के दबाव में झुकने को तैयार नहीं है।