अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% का टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद भारत ने भी कड़ा पलटवार किया है। भारत ने अमेरिका से F-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिससे अब रूस के Su-57 स्टील्थ जेट को खरीदने का रास्ता साफ होता दिख रहा है।
F-35 से इनकार की वजहें:
- ‘सफेद हाथी’ जैसा जेट: भारत का मानना है कि F-35 एक “सफेद हाथी” की तरह है। इसके रखरखाव पर भारी-भरकम खर्च आता है, जो प्रति ऑपरेशनल घंटे $35,000 से अधिक हो सकता है। अमेरिका खुद इसके रखरखाव की लागत को नियंत्रित नहीं कर पा रहा है।
- टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से इनकार: F-35 डील में अमेरिका किसी भी तरह का टेक्नोलॉजी ट्रांसफर या सोर्स कोड साझा करने को तैयार नहीं था, जिससे भारत की आत्मनिर्भरता की नीति को धक्का लगता।
Su-57 के फायदे:
- टेक्नोलॉजी ट्रांसफर: रूस ने भारत को Su-57E का 60% तक स्थानीयकरण (localization) के साथ भारत में ही उत्पादन करने का ऑफर दिया है। इसके अलावा, रूस सोर्स कोड देने के लिए भी तैयार है, जिससे भारत अपने स्वदेशी हथियार जैसे अस्त्र मिसाइल और ब्रह्मोस को इसमें लगा सकता है।
- रणनीतिक मजबूती: Su-57 को भारतीय वायुसेना की जरूरतों के हिसाब से ढाला जा सकता है और यह चीन और पाकिस्तान के खिलाफ भारत को रणनीतिक बढ़त देगा।
ट्रंप की नीति का असर:
ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाने के लिए रूस के साथ भारत के व्यापार को भी एक कारण बताया था। अब F-35 डील को रद्द करने का भारत का फैसला एक स्पष्ट संदेश है कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी को किसी भी बाहरी दबाव के आगे झुकने नहीं देगा। इस कदम से भारत और रूस के बीच दशकों पुराने रक्षा संबंध और मजबूत होने की संभावना है।