रूस के सुदूर पूर्वी कामचटका प्रायद्वीप में आए 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के बाद, बुधवार को सुनामी की लहरें जापान के तटीय इलाकों तक पहुंच गईं। इन लहरों ने, जिनकी ऊंचाई कुछ स्थानों पर 3 मीटर तक दर्ज की गई, 2011 की भयावह सुनामी और उसके बाद फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र में हुई तबाही की खौफनाक यादें ताजा कर दीं। सुनामी के खतरे को देखते हुए फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को एहतियातन खाली करा लिया गया है।
जापानी मौसम विज्ञान एजेंसी (JMA) ने पुष्टि की है कि होक्काइडो के पूर्वी तट पर स्थित नेमुरो तक लगभग 30 सेंटीमीटर की पहली सुनामी लहर दर्ज की गई, जिसके बाद अन्य क्षेत्रों में भी ऊंची लहरें देखी गईं। जेएमए ने तटीय निवासियों को तत्काल ऊंची और सुरक्षित जगहों पर जाने की सलाह दी है। सुनामी के सायरन बजते ही लोगों में अफरा-तफरी का माहौल देखा गया, खासकर उन क्षेत्रों में जो 2011 की त्रासदी से बुरी तरह प्रभावित हुए थे।
सबसे बड़ी चिंता फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र को लेकर है, जिसे 2011 के भूकंप और सुनामी के बाद बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा था, जिससे रेडिएशन लीक हुआ था। हालांकि, फिलहाल प्लांट के संचालक टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (TEPCO) ने पुष्टि की है कि प्लांट में मौजूद सभी मजदूरों और कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है और अभी तक किसी भी प्रकार की अनियमितता या क्षति की कोई खबर नहीं है। फिर भी, एहतियाती तौर पर प्लांट को खाली करना और उसकी कड़ी निगरानी करना, जापान के लिए 2011 के दर्दनाक अनुभवों की याद दिलाता है।
जापानी प्रधान मंत्री शिगेरु इशिबा ने भी स्थिति पर निगरानी रखने और किसी भी बचाव कार्य में मानवीय जीवन को प्राथमिकता देने की अपील की है। उन्होंने नागरिकों से तटों से दूर रहने और ऊंचे इलाकों में जाने का आग्रह किया है। सुनामी के कारण जापान में अभी तक जानमाल के किसी बड़े नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन कई ट्रेन सेवाएं और फेरी संचालन निलंबित कर दिए गए हैं। प्रशांत क्षेत्र में सुनामी का खतरा अभी भी बना हुआ है, और अधिकारी अगले 24 घंटों तक स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं।