बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा चुनावी दांव चला है। बुधवार को उन्होंने आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में दोगुनी वृद्धि करने की घोषणा की, जिसे महिलाओं और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लाखों कर्मियों के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा है। इस कदम को नीतीश सरकार द्वारा चुनाव से पहले अपने पक्ष में माहौल बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की कि अब आशा कार्यकर्ताओं को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि ₹1000 से बढ़ाकर ₹3000 कर दी जाएगी। वहीं, ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव मिलने वाली प्रोत्साहन राशि ₹300 से बढ़ाकर ₹600 कर दी गई है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और सुदृढ़ करने में आशा और ममता कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान है, और उनके इस अहम योगदान को सम्मान देते हुए यह निर्णय लिया गया है।
यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और सभी राजनीतिक दल अपने-अपने वोट बैंक को साधने में लगे हैं। आशा और ममता कार्यकर्ता ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ मानी जाती हैं और उनकी संख्या लाखों में है, जो सीधे तौर पर एक बड़े मतदाता वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं। लंबे समय से ये कार्यकर्ता अपने मानदेय में वृद्धि की मांग कर रही थीं।
इस फैसले से निश्चित रूप से आशा और ममता कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं और मजबूत होंगी। इससे पहले, नीतीश सरकार ने राज्य की बसों में महिलाओं के लिए आगे की चार लाइनों की सीटें आरक्षित करने का भी फैसला किया था, जिससे महिलाओं को बस में खड़े होकर सफर न करना पड़े। ये सभी कदम आगामी चुनाव के मद्देनजर नीतीश सरकार की महिला केंद्रित नीतियों का हिस्सा माने जा रहे हैं।