संसद के मानसून सत्र में सोमवार, 28 जुलाई 2025 को लोकसभा में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चल रही महत्वपूर्ण चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बयान देने से इंकार कर दिया। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस पार्टी चाहती थी कि थरूर सरकार पर हमला करते हुए पार्टी लाइन पर बोलें, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया।
यह घटनाक्रम तब सामने आया जब लोकसभा में दोपहर 12 बजे से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर 16 घंटे की बहस शुरू हुई। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने सरकार की विदेश नीति और ऑपरेशन के विभिन्न पहलुओं पर सवाल उठाए, लेकिन शशि थरूर ने इस बहस में अपनी भागीदारी नहीं की।
कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व ने थरूर से अपेक्षा की थी कि वे इस गंभीर मुद्दे पर सरकार को घेरने में अहम भूमिका निभाएंगे, खासकर अंतरराष्ट्रीय मामलों और राष्ट्रीय सुरक्षा पर उनकी गहरी समझ को देखते हुए। हालांकि, थरूर ने कथित तौर पर इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना करने से परहेज किया। बताया जा रहा है कि थरूर का मानना है कि ऐसे संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर विपक्ष को सरकार पर अनावश्यक हमला करने से बचना चाहिए, खासकर जब देश की सैन्य कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का सवाल हो।
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इस पर निराशा व्यक्त की है, जबकि कुछ अन्य का मानना है कि थरूर का यह कदम एक अलग रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जहाँ कांग्रेस एक तरफ सरकार पर सवाल उठा रही है, वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर सर्वसम्मति दिखाने का प्रयास कर रही है।
यह पहला मौका नहीं है जब थरूर ने पार्टी लाइन से हटकर अपना रुख अपनाया हो। अतीत में भी कई मौकों पर उन्होंने ऐसे बयान दिए हैं जो पार्टी की आधिकारिक स्थिति से भिन्न रहे हैं। थरूर के इस कदम से कांग्रेस के भीतर एक नई बहस छिड़ गई है कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में विपक्ष को एकजुटता दिखानी चाहिए या सरकार की नीतियों पर लगातार सवाल उठाते रहना चाहिए। इस मुद्दे पर सरकार की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।