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    अर्थव्यवस्था पर ताला लगा दें क्या?’ रूस के साथ रिश्तों पर भारत का दो-टूक जवाब

    रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से लगातार पश्चिमी देशों के दबाव का सामना कर रहे भारत ने एक बार फिर अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखने का स्पष्ट संदेश दिया है। रूसी तेल आयात और अन्य द्विपक्षीय संबंधों को लेकर भारत पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं, जिसका भारत ने कड़ा जवाब दिया है।

    भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने साफ तौर पर कहा है कि भारत किसी भी देश की कठपुतली नहीं बनेगा और अपने ऊर्जा तथा आर्थिक हितों को किसी भी दबाव में कुर्बान नहीं करेगा। एक शीर्ष अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “क्या हमें अपनी अर्थव्यवस्था पर ताला लगा देना चाहिए? हमारी जनता की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना हमारी प्राथमिकता है। हम वहां से तेल खरीदेंगे जहां हमें सबसे अच्छा सौदा मिलेगा।”

    यह बयान ऐसे समय में आया है जब यूरोपीय संघ और अमेरिका रूस पर नए प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं, जिसका असर रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर भी पड़ सकता है। हाल ही में, अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 500% शुल्क लगाने का एक विधेयक पेश किया है। नाटो महासचिव मार्क रुटे ने भी भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों को चेतावनी दी है, जो रूसी उत्पादों के प्रमुख खरीदार हैं।

    हालांकि, भारत ने ऐसे “दोहरे मापदंडों” के प्रति आगाह किया है। भारत का कहना है कि जब पश्चिमी देश खुद भी रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं, तो भारत पर दबाव बनाना अनुचित है। भारत ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि उसकी विदेश नीति उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि पर आधारित है। रूस भारत के लिए कच्चे तेल का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता बन गया है, जो उसके कुल आयात का लगभग 40% है, खासकर यूक्रेन युद्ध के बाद रियायती कीमतों के कारण।

    भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि रूस के साथ उसके संबंध केवल तेल आयात तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसमें रक्षा सहयोग, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और व्यापार भी शामिल हैं। भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी बाहरी दबाव में अपनी नीतियों को बदलने को तैयार नहीं है।

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