भारतीय क्रिकेट के दिग्गज विकेटकीपर-बल्लेबाज फारुख इंजीनियर को मैनचेस्टर के प्रतिष्ठित ओल्ड ट्रैफर्ड क्रिकेट ग्राउंड में एक स्थायी सम्मान मिला है। 23 जुलाई, 2025 को उनके नाम पर ओल्ड ट्रैफर्ड में एक स्टैंड का अनावरण किया गया, जिससे वह इस मैदान पर यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर बन गए। हालांकि, इस सम्मान के बावजूद, इंजीनियर ने एक कड़वी सच्चाई बयां की, जिसने भारतीय क्रिकेट जगत को सोचने पर मजबूर कर दिया।
“देश में नहीं मिला वो सम्मान”
स्टैंड के अनावरण समारोह के दौरान बोलते हुए फारुख इंजीनियर भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए बहुत गर्व का क्षण है, लेकिन साथ ही थोड़ी शर्म की बात भी है। मुझे यह सम्मान अपने देश में नहीं मिला, बल्कि हजारों मील दूर इंग्लैंड में मिला है, जहां मैंने लैंकशायर के लिए काउंटी क्रिकेट खेला।”
इंजीनियर ने आगे कहा, “मैं हमेशा अपने देश के लिए खेलने पर गर्व महसूस करता रहा हूं, लेकिन यह दुखद है कि मेरे ही देश में मेरी सेवाओं को शायद उतना सराहा नहीं गया, जितना यहां। भारत में कई ऐसे महान खिलाड़ी हैं जिन्हें उचित सम्मान नहीं मिला है। यह क्रिकेट बोर्ड और देश के लिए सोचने का विषय है।”
ओल्ड ट्रैफर्ड से इंजीनियर का नाता
फारुख इंजीनियर ने 1968 से 1976 तक लैंकशायर काउंटी क्रिकेट क्लब के लिए खेला और ओल्ड ट्रैफर्ड में उनके प्रदर्शन को हमेशा याद किया जाता है। उन्होंने भारत के लिए 46 टेस्ट और 5 एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले, जिसमें उन्होंने अपनी आक्रामक बल्लेबाजी और शानदार विकेटकीपिंग से दर्शकों का दिल जीता।
उनके इस बयान ने भारतीय क्रिकेट के इतिहास और खिलाड़ियों के सम्मान पर नई बहस छेड़ दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और अन्य संबंधित निकाय इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।