लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) को लेकर राजनीतिक गरमाहट तेज हो गई है। इस संवेदनशील मुद्दे पर सदन में 16 घंटे की मैराथन चर्चा का प्रस्ताव है, जिस पर विपक्ष, विशेषकर समाजवादी पार्टी (सपा), ने अपनी शर्तें रख दी हैं। सपा प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी इस चर्चा में तभी हिस्सा लेगी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में मौजूद रहेंगे। बिना प्रधानमंत्री के क्या बयान दें और किसको बयान दें? क्या भूल हुई, क्या चूक हुई, इंटेलिजेंस फेलियर था? ये कोई एक बार नहीं हुआ है। पुलवामा में हुआ फिर पहलगाम में हुआ।”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद से विपक्ष, खासकर कांग्रेस और सपा, सरकार पर हमलावर है। सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन था और इसमें कोई भी अनैतिक कार्य नहीं हुआ है।
आज लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा को लेकर हंगामा शुरू हो गया। जब सरकार की ओर से इस पर 16 घंटे की लंबी चर्चा का प्रस्ताव रखा गया, तो सपा सांसद अखिलेश यादव ने मोर्चा संभाला। उन्होंने कहा, “हम लोग भी चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन हमारी एक शर्त है। हम इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर तभी चर्चा करेंगे जब प्रधानमंत्री सदन में मौजूद रहेंगे।”
अखिलेश यादव ने आगे कहा, “यह देश की सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर मामला है। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर प्रधानमंत्री की मौजूदगी और उनका जवाब बेहद जरूरी है। बिना प्रधानमंत्री की उपस्थिति के इस चर्चा का कोई औचित्य नहीं रहेगा।”
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी अखिलेश यादव के इस रुख का समर्थन किया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार इस मुद्दे पर भाग रही है और प्रधानमंत्री को जवाबदेही लेनी चाहिए। वहीं, सरकार की ओर से अभी तक प्रधानमंत्री की उपस्थिति को लेकर कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया गया है। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है, जिससे सदन की कार्यवाही प्रभावित होने की आशंका है। अब देखना होगा कि क्या सरकार विपक्ष की मांग मानती है और प्रधानमंत्री चर्चा के दौरान सदन में मौजूद रहते हैं।