चार साल के लंबे अंतराल के बाद, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सितंबर 2025 में वार्षिक भारत-रूस उच्च-स्तरीय शिखर सम्मेलन के लिए भारत का दौरा करेंगे। यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है।
मुख्य एजेंडा और उम्मीदें:
- रक्षा सहयोग: यह दौरा मुख्य रूप से रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने पर केंद्रित रहेगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस भारत को दूसरी अकुला श्रेणी की परमाणु संचालित हमला पनडुब्बी के पट्टे और हस्तांतरण की पेशकश कर सकता है। इसके अलावा, कम से कम छह नवीनीकृत किलो श्रेणी की पनडुब्बियों और 1500 किलोमीटर की कलिब्र क्रूज मिसाइलों के सौदे पर भी बात हो सकती है। भारत अभी भी रूसी रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा खरीदार है और “मेक इन इंडिया” पहल के तहत संयुक्त उत्पादन पर भी जोर दिया जाएगा।
- ऊर्जा सुरक्षा: ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग दोनों देशों के लिए अहम है। रूस भारत को तेल और गैस का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। शिखर सम्मेलन के दौरान ऊर्जा सुरक्षा, विशेषकर तेल और गैस की कीमतों में स्थिरता पर चर्चा होने की संभावना है।
- व्यापार और निवेश: दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को कम करना और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना भी एजेंडे में शामिल होगा। नए निवेश के अवसरों की तलाश और व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा।
- वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दे: यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी चर्चा होगी। भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के दृष्टिकोण पर भी विचार-विमर्श होने की संभावना है। खाद्य सुरक्षा, विशेष रूप से उर्वरकों की आपूर्ति भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा हो सकता है, क्योंकि भारत अपनी कृषि जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर करता है।
- अंतरिक्ष और विज्ञान-प्रौद्योगिकी: अंतरिक्ष सहयोग और विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर भी बातचीत हो सकती है।
यह दौरा भारत-रूस की “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” को एक नई दिशा देगा और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते खोलेगा।