अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस पर लगाए जा रहे संभावित 100% टैरिफ का भारत पर बड़ा और गहरा असर पड़ सकता है, खासकर ‘सेकेंडरी टैरिफ’ के रूप में। सेकेंडरी टैरिफ का मतलब है कि अमेरिका सीधे रूस पर नहीं, बल्कि उन देशों पर शुल्क लगाएगा जो रूस के साथ व्यापार करते हैं। भारत रूस से तेल और हथियार समेत कई अहम चीजें आयात करता है, जिससे यह कदम भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है।
कौन से क्षेत्रों पर पड़ेगी मार?
- ऊर्जा क्षेत्र (कच्चा तेल और गैस): यह सबसे बड़ा और सीधा प्रभाव वाला क्षेत्र होगा। यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत रूस से भारी छूट पर कच्चा तेल खरीद रहा है, जो भारत के कुल तेल आयात का एक तिहाई से भी अधिक है। यदि अमेरिका रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाता है (खबरों के अनुसार यह 500% तक भी हो सकता है), तो भारत को या तो रूस से तेल खरीदना बंद करना होगा या अमेरिकी बाजार में व्यापारिक बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। दोनों ही विकल्प भारत के लिए नुकसानदायक होंगे।
- पेट्रोल-डीजल की कीमतें: अगर भारत को महंगा तेल खरीदना पड़ता है, तो इसका सीधा असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ेगा। इससे परिवहन महंगा होगा और खाद्य वस्तुओं सहित आम आदमी के खर्च में बढ़ोतरी होगी, जिससे महंगाई बढ़ सकती है।
- रिफाइनरियों पर असर: भारतीय रिफाइनरियां जो रूसी तेल को परिष्कृत करती हैं (जैसे HPCL, BPCL, IOC) उनकी उत्पादन लागत बढ़ जाएगी और मुनाफा कम होगा।
- रक्षा क्षेत्र: भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रूप से रक्षा और हथियारों का बड़ा व्यापार रहा है। रूस भारत को कई सबमरीन से लेकर जहाज और अन्य सैन्य उपकरण मुहैया कराता रहा है। यदि अमेरिका रूस से हथियार खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध या टैरिफ लगाता है, तो इससे भारत की सैन्य खरीद और आधुनिकीकरण योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
- विदेशी नीति पर दबाव: अमेरिका का यह कदम भारत की विदेश नीति पर भी दबाव डालेगा, क्योंकि भारत रूस के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को बनाए रखना चाहता है, वहीं अमेरिका के साथ भी अपने संबंधों को सामान्य रखना भारत के हित में है। भारत ने यूक्रेन युद्ध के दौरान भी एक संतुलित रुख बनाए रखा है।
ट्रंप का उद्देश्य और भारत के विकल्प
ट्रंप का उद्देश्य रूस पर आर्थिक दबाव डालकर यूक्रेन संघर्ष को समाप्त कराना है। वे भारत और चीन जैसे बड़े खरीदारों के जरिए रूस की कमाई के स्रोतों को बंद करना चाहते हैं। भारत के लिए यह एक जटिल स्थिति है। हालांकि, सीनेट में पेश किए गए विधेयक में राष्ट्रपति को कुछ समय के लिए किसी खास देश को छूट देने का अधिकार भी दिया गया है, जो भारत के लिए एक उम्मीद की किरण हो सकती है। भारत को इस स्थिति में सावधानी से नेविगेट करना होगा ताकि उसके आर्थिक और रणनीतिक हित प्रभावित न हों।