केरल के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ब्रिटिश रॉयल नेवी का अत्याधुनिक F-35B स्टील्थ फाइटर जेट पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से फंसा हुआ है। 14 जून को खराब मौसम और कम ईंधन के कारण आपातकालीन लैंडिंग करने के बाद, विमान में हाइड्रोलिक खराबी आ गई, जिसे ब्रिटिश इंजीनियरों की टीम अब तक ठीक नहीं कर पाई है। इस घटना ने दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक F-35 की विश्वसनीयता और उसकी कथित ‘अजेयता’ पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है बड़ी ‘कमजोरी’?
- रखरखाव की जटिलता और निर्भरता: F-35 एक अत्यंत जटिल विमान है, जिसकी मरम्मत और रखरखाव के लिए विशेष उपकरण और अमेरिकी-नियंत्रित सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। यह घटना दर्शाती है कि अमेरिका के सबसे करीबी सहयोगी, यूनाइटेड किंगडम भी, महत्वपूर्ण प्रणालियों तक पूर्ण पहुंच नहीं रखता है। विमान को ठीक करने में इतनी देरी ने इस बात पर चिंता जताई है कि यह सिर्फ हाइड्रोलिक समस्या नहीं हो सकती, बल्कि इसके सॉफ्टवेयर या अन्य जटिल प्रणालियों से जुड़ी कोई बड़ी समस्या हो सकती है।
- ‘किल स्विच’ की आशंका: कुछ रक्षा विश्लेषकों ने “किल स्विच सिद्धांत” की बात की है, जिसके तहत अमेरिका F-35 के सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर पर अंतिम नियंत्रण रखता है। यदि सॉफ्टवेयर कुंजी या प्रमाणीकरण प्रोटोकॉल को रोक दिया जाता है, तो विमान प्रभावी रूप से अनुपयोगी हो सकता है। यह ‘स्वतंत्रता’ चाहने वाले खरीदारों के लिए एक बड़ा चिंता का विषय है।
- स्टील्थ का भ्रम? हालांकि F-35 अपनी ‘स्टील्थ’ क्षमता के लिए जाना जाता है, भारतीय वायु सेना (IAF) के ‘इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम’ (IACCS) ने इसे तुरंत पकड़ लिया और मार्गदर्शन किया। यह अमेरिका के इस दावे पर सवाल उठाता है कि F-35 को कोई नहीं पकड़ सकता।
- उच्च लागत और लगातार समस्याएं: F-35 कार्यक्रम को अपनी उच्च लागत और लगातार तकनीकी समस्याओं के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। यहां तक कि अमेरिकी डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन भी F-35 जेट के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की दिक्कतों से परेशान रहा है और लॉकहीड मार्टिन पर समय पर अपग्रेड न देने के लिए जुर्माना भी लगा चुका है।
आगे क्या?
फिलहाल, ब्रिटिश इंजीनियर विमान को ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं। यदि मरम्मत संभव नहीं हुई, तो विमान को disassembled करके एक बड़े परिवहन विमान (जैसे C-17 ग्लोबमास्टर) के माध्यम से यूके वापस ले जाया जा सकता है।
इस घटना के बाद, संभावित खरीदार देश, विशेष रूप से भारत जैसे देश जो अपनी संप्रभुता और प्रौद्योगिकी नियंत्रण को महत्व देते हैं, F-35 जैसे अमेरिकी सैन्य हार्डवेयर को खरीदने से पहले अधिक सावधानी बरत सकते हैं। यह घटना विश्व सैन्य बाजार में F-35 की प्रतिष्ठा और बिक्री पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, और अन्य लड़ाकू विमानों के लिए नए अवसर खोल सकती है।