उत्तर प्रदेश में आगामी कांवड़ यात्रा को लेकर सियासी पारा गरमा गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ विधायक रविदास मेहरोत्रा ने एक विवादित बयान देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तुलना आतंकवादियों से कर दी है, जिसके बाद बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मामला कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों और ढाबा कर्मचारियों की पहचान सार्वजनिक करने के सरकार के निर्देश से जुड़ा है। रविदास मेहरोत्रा ने इस निर्देश को “पूरी तरह अनुचित” बताते हुए आरोप लगाया कि भाजपा और आतंकवादियों में कोई अंतर नहीं है, क्योंकि “दोनों धर्म और जाति पूछकर हमला करते हैं।” उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान जो लोग मार्ग पर दुकानें लगाते हैं, उनसे उनकी जाति और धर्म पूछना गलत है।
मेहरोत्रा के इस बयान पर भाजपा ने तुरंत पलटवार किया है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सपा विधायक के बयान को “बेहद निंदनीय” बताया। पाठक ने कहा कि सपा “शरिया कानून लागू करना चाहती है” और “मुस्लिम तुष्टीकरण को बढ़ावा देकर वोट बैंक बनाना चाहती है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रदेश की जनता सपा के इस “मनसूबे” को कभी पूरा नहीं होने देगी।
भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सपा नेताओं द्वारा इस तरह की “विवादित बयानबाजी अखिलेश यादव के इशारे पर हो रही है।” त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि सपा नेता “अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं” और “पवित्र श्रावण मास में कांवड़ यात्रा में विघ्न डालने का षड्यंत्र रच रहे हैं।”
यह विवाद मुजफ्फरनगर के एक ‘पंडित शुद्ध वैष्णो भोजनालय’ पर हुई एक घटना से शुरू हुआ, जहां कथित तौर पर दुकान के कर्मचारियों की पहचान जानने की कोशिश की गई थी। इस घटना के बाद, सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों और ढाबों के लिए स्पष्ट पहचान प्रदर्शित करने के निर्देश जारी किए थे। सरकार का कहना है कि यह निर्देश सार्वजनिक व्यवस्था और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हैं, न कि किसी विशेष धर्म को निशाना बनाने के लिए। हालांकि, विपक्ष इसे धर्म-विशेष के खिलाफ कार्रवाई बताकर लगातार हमलावर है।