अपनी त्रिनिदाद एंड टोबैगो यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रवासी भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्हें ‘एक परिवार’ का हिस्सा बताया। उन्होंने भावुक होकर कहा कि अब गिरमिटिया बच्चों की पहचान उनके संघर्षों से नहीं, बल्कि उनकी सफलता, सेवा और मूल्यों से होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक ‘फतेल रजाक’ जहाज से 1845 में भारतीय मजदूरों के त्रिनिदाद पहुंचने का जिक्र करते हुए कहा कि इन ‘गिरमिटिया’ मजदूरों ने अत्यंत विषम परिस्थितियों में यहां आकर अपनी मेहनत और लगन से इस भूमि को सींचा। उन्होंने अपनी जड़ों, संस्कृति और मूल्यों को कभी नहीं छोड़ा, भले ही उन्हें अपनी मातृभूमि से दूर होना पड़ा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज त्रिनिदाद एंड टोबैगो की 40 प्रतिशत से अधिक आबादी भारतीय मूल की है, जिसमें वर्तमान राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर भी शामिल हैं, जिनके पूर्वज बिहार से जुड़े हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह एक प्रमाण है कि भारतीय समुदाय ने न केवल इस देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत रखा है।
मोदी ने कहा कि भारत और त्रिनिदाद एंड टोबैगो के संबंध भूगोल और पीढ़ियों से कहीं आगे तक फैले हैं। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय हमारा गौरव हैं और वे भारत के मूल्यों, संस्कृति और विरासत के राजदूत हैं। उन्होंने इस अवसर पर त्रिनिदाद एंड टोबैगो में भारतीय प्रवासियों की छठी पीढ़ी को ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड दिए जाने की घोषणा भी की, जिसे भारतीय समुदाय ने खूब सराहा।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि दुनिया भर में गिरमिटिया समुदाय का एक व्यापक डेटाबेस बनाने का काम चल रहा है, ताकि उनकी समृद्ध विरासत को संरक्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि भारत अपनी डिजिटल और फिनटेक क्षमताओं के माध्यम से त्रिनिदाद एंड टोबैगो के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे।