चीन अपनी सैन्य शक्ति को अभूतपूर्व स्तर पर ले जाने की तैयारी में है। नवीनतम खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, चीन एक ऐसी विशाल ‘मिलिट्री सिटी’ का निर्माण कर रहा है जो अमेरिकी पेंटागन से भी दस गुना बड़ी होगी। इस अत्याधुनिक सैन्य परिसर को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि यह परमाणु हमले के प्रभावों को भी झेल सके। यह मेगा-प्रोजेक्ट दुनिया भर में चिंता का विषय बन गया है, और विश्लेषक यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी है।
अत्याधुनिक सैन्य परिसर और परमाणु प्रतिरोध
उपग्रह से ली गई तस्वीरों और लीक हुई खुफिया जानकारियों के मुताबिक, यह ‘मिलिट्री सिटी’ चीन के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित है और इसका निर्माण तेजी से चल रहा है। इसमें भूमिगत बंकर, सुरंगों का एक विशाल नेटवर्क, अत्याधुनिक संचार केंद्र और मिसाइल साइलो (प्रक्षेपण स्थल) शामिल होंगे। रिपोर्टों में दावा किया गया है कि इसका निर्माण परमाणु हमले के खिलाफ अधिकतम सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जा रहा है, जिसमें शॉकवेव को अवशोषित करने वाली संरचनाएं और विकिरण से बचाव के उपाय शामिल हैं। यह चीन की अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने और किसी भी संभावित हमले की स्थिति में अपनी सैन्य कमान और नियंत्रण को बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है।
वैश्विक चिंता और ‘तीसरे विश्व युद्ध’ का सवाल
इस विशाल सैन्य परियोजना ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गंभीर चिंता पैदा कर दी है। कई पश्चिमी देशों के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह कदम सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक क्षमता बढ़ाने की ओर भी इशारा करता है। कुछ विश्लेषक इसे तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी के रूप में देख रहे हैं, जहां चीन एक संभावित वैश्विक संघर्ष के लिए खुद को तैयार कर रहा है।
चीन की बढ़ती सैन्य महत्वाकांक्षाएं, खासकर ताइवान और दक्षिण चीन सागर पर उसके दावे, पहले से ही तनाव बढ़ा रहे हैं। ऐसे में इस ‘मिलिट्री सिटी’ का निर्माण वैश्विक शक्ति संतुलन को और बिगाड़ सकता है। हालांकि, चीन ने हमेशा अपनी सैन्य प्रगति को “रक्षात्मक” बताया है, लेकिन इस तरह के विशाल और अभेद्य सैन्य ढांचे का निर्माण निश्चित रूप से दुनिया को सोचने पर मजबूर करेगा कि चीन की असली मंशा क्या है।