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    बिहार में पहली बार Mobile App से मतदान, क्या छेड़छाड़ संभव है? चुनाव आयोग ने दिया जवाब

    बिहार में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में पहली बार मोबाइल ऐप आधारित मतदान प्रणाली का उपयोग किया जाएगा। यह एक ऐतिहासिक कदम है, जो चुनावी प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग को दर्शाता है। हालांकि, इस घोषणा के साथ ही ऐप की सुरक्षा और उसमें संभावित छेड़छाड़ को लेकर चिंताएं भी बढ़ गई हैं। इन चिंताओं को दूर करने के लिए, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने खुद इस नई प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी दी और इसकी सुरक्षा का आश्वासन दिया।

    बिहार राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत, मतदाताओं को एक विशेष मोबाइल एप्लिकेशन डाउनलोड करना होगा जिसके माध्यम से वे अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। यह कदम खासकर उन दूरदराज के क्षेत्रों के मतदाताओं को सुविधा प्रदान करने के लिए उठाया गया है, जहां मतदान केंद्रों तक पहुंचना मुश्किल होता है। साथ ही, यह प्रणाली मतदान प्रक्रिया को और अधिक सुलभ बनाने का लक्ष्य रखती है।

    ऐप में छेड़छाड़ की संभावनाओं पर बोलते हुए, निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि “मोबाइल ऐप को मल्टी-लेयर एन्क्रिप्शन और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण जैसी उन्नत सुरक्षा सुविधाओं के साथ डिजाइन किया गया है।” उन्होंने बताया कि प्रत्येक मतदाता की पहचान आधार-आधारित सत्यापन के माध्यम से की जाएगी और यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा कि कोई भी व्यक्ति एक से अधिक बार मतदान न कर सके। ऐप का डेटाबेस भी अत्यधिक सुरक्षित सर्वरों पर संग्रहीत किया जाएगा, और किसी भी प्रकार की असामान्य गतिविधि पर तुरंत निगरानी रखी जाएगी।

    आयोग ने यह भी बताया कि इस प्रणाली को लागू करने से पहले कई चरणों में इसका गहन परीक्षण किया गया है, और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों से भी सलाह ली गई है। उनका उद्देश्य एक पारदर्शी, सुरक्षित और विश्वसनीय मतदान अनुभव प्रदान करना है। हालांकि, कुछ विपक्षी दलों और तकनीकी विशेषज्ञों ने अभी भी डिजिटल मतदान प्रणालियों की सुरक्षा को लेकर अपनी आशंकाएं व्यक्त की हैं, लेकिन आयोग का कहना है कि यह एक प्रगतिशील कदम है जो भविष्य के चुनावों के लिए एक मॉडल बन सकता है। आने वाले समय में ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि यह अभिनव पहल कितनी सफल होती है।

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