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    UP: सपा ने तीन MLA को पार्टी से निकाला.. बड़े एक्शन के ये बताए गए कारण

    उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) ने अनुशासनहीनता के आरोप में अपने तीन विधायकों – राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह और मनोज कुमार पांडेय – को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। यह बड़ा एक्शन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर लिया गया है, और इसे आगामी विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के भीतर एक कड़ा संदेश माना जा रहा है। सपा प्रवक्ता ने बताया कि इन तीनों विधायकों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और अनुशासन का उल्लंघन करने का आरोप है। सूत्रों के अनुसार, हाल ही में हुए विभिन्न चुनावों और राजनीतिक घटनाओं के दौरान इन विधायकों का आचरण पार्टी की लाइन से हटकर था।


    किन विधायकों पर हुई कार्रवाई?

    1. राकेश प्रताप सिंह (गौरीगंज): अमेठी जिले की गौरीगंज सीट से विधायक राकेश प्रताप सिंह पर लंबे समय से पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लग रहा था। कुछ समय पहले वह अपने विधानसभा क्षेत्र में हुए एक स्थानीय चुनाव के दौरान सत्ताधारी दल के एक नेता से झगड़े के बाद भी चर्चा में आए थे।
    2. अभय सिंह (गोसाईंगंज): अयोध्या जिले की गोसाईंगंज सीट से विधायक अभय सिंह भी पार्टी के लिए सिरदर्द बने हुए थे। उन पर भी भाजपा के करीब होने और पार्टी के हितों के खिलाफ काम करने के आरोप लग रहे थे।
    3. मनोज कुमार पांडेय (ऊंचाहार): रायबरेली जिले की ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज कुमार पांडेय को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। पांडेय को कुछ समय से भाजपा के प्रति नरम रुख अपनाते देखा जा रहा था, और उन्हें क्रॉस-वोटिंग के आरोपों का भी सामना करना पड़ा था।

    एक्शन का कारण और निहितार्थ

    यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब सपा 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी है। अखिलेश यादव पार्टी के भीतर किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता या असंतोष को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। यह निष्कासन उन सभी विधायकों और कार्यकर्ताओं के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है जो पार्टी की नीतियों और निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

    सूत्रों का यह भी कहना है कि इन तीनों विधायकों के भाजपा के संपर्क में होने की खबरें भी पार्टी नेतृत्व तक पहुंची थीं। सपा ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी अपने सिद्धांतों और अनुशासन से कोई समझौता नहीं करेगी, भले ही इसके लिए बड़े नेताओं पर ही कार्रवाई क्यों न करनी पड़े।

    यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कार्रवाई का आगामी चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या इससे पार्टी के भीतर बाकी विधायकों में अनुशासन का स्तर बढ़ता है।

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