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    पूरे एशिया में तबाही ला सकती हैं जहरीली हवाएं.. ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला न बन जाये त्रासदी?

    ईरान के परमाणु ठिकानों पर हुए अमेरिकी हवाई हमलों ने न केवल पश्चिम एशिया में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है, बल्कि भारत और पाकिस्तान सहित पूरे एशिया के लिए एक गंभीर पर्यावरणीय खतरे की घंटी बजा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन हमलों से परमाणु रिसाव होता है, तो पछुआ हवाएं (Westerly Winds) चेरनोबिल जैसी आपदा को भारतीय उपमहाद्वीप तक पहुंचा सकती हैं।


    परमाणु हमला और रेडियोधर्मी कचरा

    ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान जैसे प्रमुख परमाणु स्थलों पर किए गए हमलों से यह आशंका बढ़ गई है कि इन सुविधाओं को गंभीर नुकसान पहुंचा होगा। यदि इन हमलों के परिणामस्वरूप परमाणु संयंत्रों से रेडियोधर्मी कचरा (Radioactive Waste) निकलता है, तो इसके दूरगामी और विनाशकारी परिणाम होंगे। रेडियोधर्मी सामग्री हवा के साथ फैल सकती है, जिससे बड़े क्षेत्र में विकिरण का खतरा पैदा हो सकता है।


    पछुआ हवाओं का खतरा

    सबसे चिंताजनक बात यह है कि मध्य एशिया से आने वाली पछुआ हवाएं और जेट स्ट्रीम सीधे भारतीय उपमहाद्वीप की ओर बहती हैं। यदि परमाणु रिसाव होता है, तो ये हवाएं अपने साथ रेडियोधर्मी कणों को लेकर पाकिस्तान और भारत सहित पूरे एशिया में फैल सकती हैं। यह स्थिति चेरनोबिल परमाणु आपदा या फुकुशिमा हादसे से भी बदतर हो सकती है, क्योंकि यह एक ऐसे क्षेत्र को प्रभावित करेगी जहां 140 करोड़ से अधिक लोग निवास करते हैं।


    भारत पर संभावित प्रभाव

    भारत के लिए इसके परिणाम अत्यंत गंभीर हो सकते हैं। रेडियोधर्मी हवाएं पीने के पानी, कृषि भूमि और वायुमंडल को दूषित कर सकती हैं, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं और पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है। कैंसर, जन्म दोष और अन्य विकिरण-संबंधी बीमारियों में वृद्धि देखी जा सकती है। इसके अलावा, इससे आर्थिक गतिविधियां ठप हो सकती हैं और लोगों को बड़े पैमाने पर विस्थापित होना पड़ सकता है।


    केवल ईरान का संकट नहीं

    विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल ईरान का संकट नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र का साझा संकट है। किसी भी परमाणु सुविधा पर हमला उसके तात्कालिक लक्ष्य से कहीं अधिक दूर तक विनाश ला सकता है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने भी परमाणु ठिकानों पर हमले के खिलाफ चेतावनी दी है, क्योंकि इससे ‘चेरनोबिल जैसी तबाही’ हो सकती है। इस गंभीर खतरे को देखते हुए, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पश्चिम एशिया में तनाव कम करने और परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो इस क्षेत्र में हुई कोई भी गलती पूरे एशिया को एक विनाशकारी भविष्य की ओर धकेल सकती है।

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