पश्चिम एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक अनिश्चितता के बीच सोमवार को भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली। बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी, दोनों में तेज गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों के बीच डर का माहौल है। सुबह के कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 800 अंक से अधिक गिरकर 81,700 के स्तर पर आ गया, जबकि एनएसई निफ्टी 24,900 के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे फिसल गया। दिन के शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 704 अंक गिरकर 81,735 अंक पर खुला, और निफ्टी गिरावट के साथ 24,939.75 अंक पर पहुंचा।
इस गिरावट का मुख्य कारण पश्चिम एशिया में इजरायल और ईरान के बीच गहराता संघर्ष है। ईरान के परमाणु ठिकानों पर हुए अमेरिकी हवाई हमलों की खबरों ने वैश्विक बाजार में बेचैनी बढ़ा दी है। अमेरिका की संभावित और भागीदारी की आशंका ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है, जिससे वे जोखिम वाले एसेट्स से दूरी बना रहे हैं। कच्चे तेल की कीमतों में उछाल भी बाजार पर दबाव बढ़ा रहा है। पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से तेल आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान की आशंका बढ़ गई है, जिससे वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। भारत जैसे तेल आयातक देश के लिए यह महंगाई का एक बड़ा कारण बन सकता है, जिससे कंपनियों की लागत बढ़ सकती है और उपभोक्ताओं की खरीद शक्ति प्रभावित हो सकती है।
आज की गिरावट में सेंसेक्स की 30 में से 28 कंपनियों के शेयर लाल निशान में खुले, जिनमें इंफोसिस के शेयरों में सबसे ज्यादा 2.17% की गिरावट रही। आईटी और ऑटो सेक्टर में भारी बिकवाली देखी गई, जिससे इन सेक्टरों के शेयरों में तेज गिरावट आई। हालांकि, बीईएल के शेयर 1.36% की बढ़त के साथ हरे निशान में कारोबार कर रहे थे।अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी गिरावट का रुख देखा गया। जापान का निक्केई 225, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और हांगकांग का हैंगसेंग सभी नुकसान में कारोबार कर रहे थे, हालांकि चीन का शंघाई एसएसई कंपोजिट में थोड़ी बढ़त देखी गई।
विश्लेषकों का मानना है कि जब तक पश्चिम एशिया में तनाव कम नहीं होता, तब तक बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी। निवेशकों को सतर्क रहने और किसी भी बड़े निवेश से पहले स्थिति का सावधानीपूर्वक आकलन करने की सलाह दी जा रही है। यह देखना बाकी है कि अगले कुछ दिनों में बाजार इस भू-राजनीतिक संकट पर कैसे प्रतिक्रिया देता है।