अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों ने दुनिया को चौंका दिया। इन हमलों में अमेरिका के बेहद घातक B-2 स्पिरिट स्टील्थ बमवर्षकों का इस्तेमाल किया गया। सबसे बड़ा सवाल यह था कि बिना पाकिस्तान या अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किए ये बमवर्षक ईरान तक कैसे पहुंचे। अब अमेरिका ने इस ऑपरेशन का ‘फ्लाइट पाथ’ (उड़ान मार्ग) बताया है, जिसने कई रहस्यों से पर्दा उठा दिया है।
जानकारी के अनुसार, अमेरिका के B-2 बमवर्षकों ने मिसौरी (संयुक्त राज्य अमेरिका) के व्हाइटमैन एयर फ़ोर्स बेस से उड़ान भरी। यह एक बेहद लंबी और चुनौतीपूर्ण उड़ान थी, जो 40 घंटे से भी अधिक समय तक चली। इस दौरान विमानों में हवा में ही कई बार ईंधन भरा गया, जिसे ‘एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग’ कहते हैं।
अमेरिका द्वारा बताए गए उड़ान मार्ग के अनुसार, बमवर्षकों ने पहले स्पेन और उत्तरी अफ्रीका के बीच से होते हुए भूमध्य सागर के ऊपर से उड़ान भरी। यह मार्ग रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें सीधे मध्य पूर्व में ले जाता है और किसी भी अनचाहे देश के हवाई क्षेत्र से बचने में मदद करता है।
भूमध्य सागर पार करने के बाद, विमान इजरायली हवाई क्षेत्र से होते हुए आगे बढ़े। इजरायल से सहयोग इस ऑपरेशन के लिए महत्वपूर्ण था। इसके बाद, B-2 बमवर्षक जॉर्डन पहुंचे और फिर इराक को पार करते हुए ईरान के परमाणु ठिकानों तक पहुंचे। फोर्डो, नतांज और इस्फहान जैसे ईरान के प्रमुख परमाणु स्थलों पर बमबारी करने के बाद, ये स्टील्थ बमवर्षक सुरक्षित रूप से वापस लौट गए।
इस पूरे अभियान को “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” नाम दिया गया था। अमेरिका ने इस मिशन में कुल सात B-2 स्पिरिट बमवर्षकों का इस्तेमाल किया, जिनमें से प्रत्येक को दो क्रू मेंबर उड़ा रहे थे। इस ऑपरेशन की सबसे खास बात यह रही कि पायलटों ने संचार का न्यूनतम इस्तेमाल किया, जिससे उनके इंटरसेप्ट होने का खतरा कम हो सके। यह उड़ान मार्ग दर्शाता है कि कैसे अमेरिका अपनी लंबी दूरी की मारक क्षमता और स्टील्थ तकनीक का उपयोग करके दुनिया के किसी भी कोने में लक्ष्य को भेद सकता है, यहां तक कि उन क्षेत्रों में भी जहां उसके पारंपरिक सहयोगी नहीं हैं।