भारत और कनाडा के बीच लंबे समय से चले आ रहे राजनयिक तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी (पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बाद) के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में दोनों देशों ने नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति पर सहमति जताई है। इस फैसले से दोनों देशों के संबंधों में नई उम्मीद जगी है और राजनयिक सेवाओं की बहाली की दिशा में यह एक अहम कदम माना जा रहा है।
पिछले अक्टूबर 2024 तक दोनों देशों में उच्चायुक्तों की नियुक्ति नहीं हुई थी, जिससे दशकों पुराने द्विपक्षीय संबंधों में अविश्वास और अस्थिरता का माहौल पैदा हो गया था। यह तनाव मुख्य रूप से कनाडा द्वारा खालिस्तान समर्थकों को कथित तौर पर संरक्षण देने को लेकर था। भारत ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कनाडा से अपने कुछ राजनयिकों को वापस बुला लिया था।
जी-7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और कार्नी के बीच हुई बातचीत में दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और कनाडा के संबंध कई मायनों में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कनाडा की कई कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं, और भारत के लोगों का भी कनाडा में बड़ा निवेश है। उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
कनाडाई प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, दोनों नेताओं ने दोनों देशों के नागरिकों और व्यवसायों के लिए नियमित सेवाओं को सामान्य करने और पिछले साल के घटनाक्रम के बाद से खाली पड़े प्रमुख राजनयिक पदों पर नई नियुक्तियों के साथ आगे बढ़ने पर सहमति व्यक्त की है। इस सहमति से उम्मीद है कि व्यापार, ऊर्जा, अंतरिक्ष, स्वच्छ ऊर्जा, महत्वपूर्ण खनिज और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जैसे क्षेत्रों में सहयोग को नई गति मिलेगी। यह कदम ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों को अपने साझा हितों और वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है। नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति से द्विपक्षीय संवाद और सहयोग के लिए एक मजबूत मंच तैयार होगा।