भारत की अगली दशकीय जनगणना, जो 2027 में होने वाली है, के लिए औपचारिक अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह देश की 16वीं जनगणना होगी और पहली पूरी तरह से डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें 35 लाख से अधिक गणनाकर्मियों को आधुनिक तकनीक से लैस किया जाएगा। गृह मंत्रालय के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी अधिसूचना में इस बड़े राष्ट्रीय अभ्यास के तौर-तरीकों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
यह जनगणना एक अभूतपूर्व तकनीकी बदलाव का गवाह बनेगी। पारंपरिक कागजी प्रश्नावली के बजाय, गणनाकर्मियों को विशेष रूप से विकसित मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। यह एप्लिकेशन 16 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगा, जिससे पूरे देश में डेटा संग्रह की प्रक्रिया सहज और समावेशी बन सकेगी। यह कदम न केवल डेटा संग्रह को तेज और अधिक कुशल बनाएगा, बल्कि त्रुटियों को भी कम करेगा और वास्तविक समय में डेटा के विश्लेषण की सुविधा प्रदान करेगा।
सरकार का लक्ष्य इस डिजिटल जनगणना के माध्यम से एकत्रित किए गए डेटा की सटीकता और प्रामाणिकता को बढ़ाना है। 35 लाख से अधिक गणनाकर्मियों को डिजिटल उपकरणों और प्रक्रियाओं का उपयोग करने के लिए गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें डेटा प्रविष्टि, सत्यापन और जियो-टैगिंग जैसी आधुनिक तकनीकें शामिल होंगी। यह सुनिश्चित करेगा कि हर घर और हर व्यक्ति की जानकारी सटीक रूप से दर्ज की जाए।
जनगणना 2027 देश की सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय स्थिति का एक व्यापक चित्र प्रस्तुत करेगी। यह सरकार को विभिन्न योजनाओं और नीतियों के प्रभावी निर्माण और कार्यान्वयन में मदद करेगी, जिसमें विकास परियोजनाएं, संसाधन आवंटन और सार्वजनिक सेवाओं का वितरण शामिल है। इस डिजिटल और बड़े पैमाने पर किए जाने वाले सर्वेक्षण से भारत की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक आधारभूत डेटा उपलब्ध होगा।