इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव का वैश्विक बाजारों पर गंभीर असर देखने को मिल रहा है। शुक्रवार, 13 जून 2025 को इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद, ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायल पर 150 से अधिक मिसाइलें दागीं। इस घटनाक्रम ने मध्य पूर्व में युद्ध की आशंकाओं को बढ़ा दिया है, जिसका सीधा असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल: इजरायल के हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आया। ब्रेंट क्रूड ऑयल दो महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिसमें 6% से 12% तक की वृद्धि देखी गई। इसका मुख्य कारण यह डर है कि अगर यह संघर्ष बढ़ता है, तो मध्य पूर्व से तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है। ईरान एक प्रमुख तेल उत्पादक देश है, और होर्मुज जलडमरूमध्य, जिससे दुनिया के कुल तेल व्यापार का लगभग 20% गुजरता है, पर ईरान का नियंत्रण है। यदि यह जलडमरूमध्य अवरुद्ध होता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति पर गंभीर संकट आ सकता है, जिससे कीमतें और बढ़ सकती हैं। जेपी मॉर्गन जैसे विशेषज्ञों का अनुमान है कि स्थिति बिगड़ने पर कच्चे तेल की कीमतें $120 प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।
सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी: भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने पर निवेशक सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख करते हैं। ऐसे में सोना एक पसंदीदा विकल्प बन जाता है। इजरायल-ईरान संघर्ष के बाद सोने की कीमतों में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई। भारत में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोना पहली बार 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के आंकड़े को पार कर गया। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी सोने की कीमतों में 1% से अधिक की तेजी आई। चांदी की कीमतों में भी उछाल देखा गया। यह बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि निवेशक मौजूदा अनिश्चितता के माहौल में अपने धन को सुरक्षित रखने के लिए सोने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
यह स्थिति भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे महंगाई पर सीधा असर पड़ेगा और चालू खाता घाटा भी बढ़ सकता है। वैश्विक शेयर बाजारों में भी गिरावट देखी गई, क्योंकि निवेशकों ने जोखिम भरी संपत्तियों से पैसा निकाला। कुल मिलाकर, ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।