ओडिशा के संबलपुर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां मृत्युभोज में शराब न परोसने पर एक दलित परिवार को गांव से बहिष्कृत कर दिया गया है। यह घटना समाज में व्याप्त रूढि़वादी परंपराओं और उन पर हावी होने वाले दबावों को उजागर करती है। दरअसल संबलपुर जिले के रेढ़ाखोल ब्लॉक के केंटीपानी गांव में हाल ही में एक व्यक्ति की मृत्यु हुई थी। मृतक के परिवार ने परंपरा के अनुसार मृत्युभोज का आयोजन किया। हालांकि, उन्होंने इस भोज में शराब परोसने से इनकार कर दिया। परिवार ने तर्क दिया कि वे शराब पीने और परोसने की प्रथा के खिलाफ हैं और इस तरह की बर्बादी से बचना चाहते हैं। परिवार के इस फैसले से गांव के कुछ प्रभावशाली लोग और समुदाय के सदस्य नाराज हो गए। उनका मानना था कि मृत्युभोज में शराब परोसना एक अनिवार्य परंपरा है और इसका पालन न करना गांव के रीति-रिवाजों का उल्लंघन है। जब परिवार ने अपनी बात पर अड़े रहने का फैसला किया, तो गांव की पंचायत ने एक चौंकाने वाला फरमान सुनाया। पंचायत ने इस दलित परिवार को गांव से बहिष्कृत कर दिया। इसका मतलब है कि परिवार के सदस्यों को गांव के सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी। गांव के अन्य लोग उनसे किसी भी तरह का संबंध नहीं रख सकते।
प्रशासन और पुलिस से मदद मांगी
परिवार ने इस फैसले के खिलाफ स्थानीय प्रशासन और पुलिस से मदद मांगी है। उनका कहना है कि उन्हें अपने ही गांव में सामाजिक रूप से अलग-थलग कर दिया गया है, जो उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन है। इस घटना ने ओडिशा के ग्रामीण इलाकों में सामाजिक बहिष्कार और रूढि़वादी परंपराओं के नाम पर होने वाले उत्पीडऩ पर बहस छेड़ दी है। यह मामला दिखाता है कि कैसे कुछ समुदाय अब भी पुरानी प्रथाओं को इतनी सख्ती से लागू करते हैं कि अगर कोई परिवार उनसे अलग होना चाहता है, तो उसे गंभीर सामाजिक परिणामों का सामना करना पड़ता है।

