चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल, जिसका हाल ही में उद्घाटन किया गया, भारतीय इंजीनियरिंग का एक अद्भुत उदाहरण है। इस विशाल परियोजना को सफल बनाने में कई इंजीनियरों और विशेषज्ञों का योगदान रहा, जिनमें एक प्रमुख नाम डॉ. जी. माधवी लता का है। उन्होंने इस पुल के डिज़ाइन से लेकर निर्माण तक में एक अहम सलाहकार की भूमिका निभाई और अपनी 17 साल की कड़ी मेहनत से इस सपने को हकीकत में बदला।
माधवी लता भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में सिविल इंजीनियरिंग विभाग में वरिष्ठ प्रोफेसर हैं। उन्होंने 1992 में जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया, इसके बाद एनआईटी वारंगल से एमटेक में गोल्ड मेडल हासिल किया और 2000 में आईआईटी मद्रास से पीएचडी पूरी की।
चिनाब पुल के निर्माण में सबसे बड़ी चुनौतियां हिमालय के दुर्गम भूभाग और भूवैज्ञानिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना था। डॉ. लता ने ढलानों की स्थिरता और पुल की नींव के डिजाइन को लेकर विशेष रूप से काम किया। उन्होंने “Design as you go” रणनीति अपनाई, जिससे भूगर्भीय चुनौतियों के बीच भी परियोजना सुचारू रूप से आगे बढ़ सकी।
यह पुल न केवल एक तकनीकी चमत्कार है, बल्कि कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण कदम भी है। डॉ. माधवी लता जैसी महिलाओं की विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भागीदारी, नई पीढ़ी को प्रेरित कर रही है कि वैज्ञानिक सफलता केवल लैब में नहीं, बल्कि देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भी हासिल की जा सकती है। उनकी इस लगन और विशेषज्ञता के लिए उन्हें 2021 में बेस्ट वुमन जियोटेक्निकल रिसर्चर और 2022 में टॉप 75 वीमेन इन STEAM का खिताब भी मिला है।