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    RBI ने रेपो रेट में की 50 आधार अंकों की कटौती.. छह से 5.5% हुई, EMI हो सकती है कम

    भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज एक बड़ा फैसला लेते हुए रेपो रेट में 50 आधार अंकों (0.50%) की कटौती की घोषणा की है। इस कटौती के बाद अब रेपो रेट 6% से घटकर 5.50% हो गया है। यह इस वित्त वर्ष में लगातार तीसरी बार है जब केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में कमी की है, जिससे आम आदमी को सीधा फायदा मिलने की उम्मीद है।आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद इन फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खुदरा महंगाई लगातार तीसरे महीने आरबीआई के 4% के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है, और वैश्विक कमोडिटी कीमतों में नरमी भी दिख रही है। इसके साथ ही, अर्थव्यवस्था में विकास को गति देने के लिए भी मौद्रिक नीति को और आसान बनाने का यह सही समय है।

    आम आदमी को क्या होगा फायदा?

    रेपो रेट में कटौती का सीधा असर बैंकों की उधारी लागत पर पड़ता है। जब आरबीआई बैंकों को सस्ती दरों पर कर्ज देता है, तो बैंक भी अपने ग्राहकों को दिए जाने वाले होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरों में कमी करते हैं।

    कम होंगी EMI: जिन लोगों ने फ्लोटिंग रेट पर होम लोन या अन्य कर्ज ले रखे हैं, उनकी मासिक किस्त (EMI) कम हो जाएगी। उदाहरण के लिए, यदि आपने 50 लाख रुपये का होम लोन 30 साल के लिए लिया है और उस पर 9% का ब्याज दे रहे थे, तो 50 आधार अंकों की कटौती के बाद आपकी EMI में लगभग ₹2000 प्रति माह तक की कमी आ सकती है, जिससे सालाना ₹24,000 की बचत होगी।
    नए लोन होंगे सस्ते: जो लोग नया लोन लेने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए अब कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा। इससे होम लोन, कार लोन और शिक्षा लोन जैसे विभिन्न प्रकार के ऋणों की कुल लागत कम होगी।
    बढ़ेगा उपभोग और निवेश: EMI में बचत होने से लोगों के पास खर्च करने योग्य आय बढ़ेगी, जिससे वे अधिक खरीदारी कर सकते हैं या निवेश कर सकते हैं। यह अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ावा देगा और व्यापारिक गतिविधियों को भी गति मिलेगी।
    छोटे और मध्यम व्यवसायों को लाभ: छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए कार्यशील पूंजी पर ब्याज कम होगा, जिससे उनके लिए व्यवसाय चलाना आसान होगा। यह रोजगार सृजन और समग्र आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देगा।
    हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बैंक रेपो रेट में कटौती का लाभ ग्राहकों तक कितनी तेजी से और कितना पहुंचाते हैं, यह बैंकों की अपनी नीतियों पर निर्भर करता है। फिर भी, यह कदम निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है और उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करेगा।

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