भारत में लंबे समय से प्रतीक्षित जातिगत जनगणना की तारीखों का ऐलान हो गया है। केंद्रीय कैबिनेट ने 30 अप्रैल 2025 को जातिगत जनगणना को मंजूरी दी थी और अब इसके शुरू होने की तारीखें भी तय हो गई हैं। यह आजादी के बाद पहली बार होगा जब देश में पूर्ण जातिगत जनगणना कराई जाएगी। इससे पहले 1931 में पूर्ण जातिगत जनगणना हुई थी। बताया जा रहा है कि जनगणना की प्रक्रिया 16 जून 2025 को आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना के प्रकाशन के साथ शुरू हो जाएगी। उम्मीद है कि यह प्रक्रिया 2028 के अंत तक पूरी हो जाएगी।
जातिगत जनगणना दो चरणों में की जाएगी
पहला चरण : 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा। इस चरण में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और लद्दाख जैसे पहाड़ी और बर्फबारी वाले राज्यों को कवर किया जाएगा।
दूसरा चरण : 1 मार्च 2027 से शुरू होगा। इस चरण में देश के बाकी हिस्सों में जातिगत जनगणना और जनसंख्या की गिनती एक साथ की जाएगी।
जातिगत जनगणना क्यों महत्वपूर्ण है?
जातिगत जनगणना से देश में विभिन्न जातियों की सटीक आबादी का पता चल पाएगा। इससे सरकार को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने और उनके लिए बेहतर कल्याणकारी नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। यह सामाजिक असमानताओं को उजागर करने और वंचित समूहों को सशक्त बनाने में भी सहायक हो सकती है। हालांकि, कुछ लोग इसे जाति व्यवस्था को और मजबूत करने वाला कदम भी मानते हैं। लंबे समय से विभिन्न राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन जातिगत जनगणना की मांग कर रहे थे। अब जब इसकी तारीखें तय हो गई हैं, तो आने वाले समय में यह देश की सामाजिक और राजनीतिक तस्वीर में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।