भारत ने अपनी वायु रक्षा क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए चीन की सबसे खतरनाक मानी जाने वाली पीएल-15 मिसाइल और तुर्की के बायरकतार ड्रोन के “भ्रमजाल” को तोड़ दिया है। यह घटनाक्रम वैश्विक स्तर पर इन हथियारों की कथित श्रेष्ठता पर सवाल उठा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि भारत की वायु रक्षा प्रणाली अत्यंत मजबूत है और वह चीन और तुर्की जैसे देशों के उन्नत हथियारों का मुकाबला करने में सक्षम है। यह भारत की सैन्य क्षमताओं को रेखांकित करता है और वैश्विक सैन्य रणनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
चीन की PL-15 मिसाइल का खुलासा
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय सेना ने पाकिस्तान की वायुसेना द्वारा इस्तेमाल की गई पीएल-15ई मिसाइल के टुकड़ों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया है। यह मिसाइल चीन की सबसे उन्नत एयर-टू-एयर मिसाइलों में से एक मानी जाती है, जिसे चीन अपने J-20 स्टील्थ फाइटर जेट्स के लिए विकसित किया है। दावा किया जाता है कि इसकी मारक क्षमता 300 किमी तक है। इस मिसाइल के मलबे से चीन की सैन्य प्रौद्योगिकी का विश्लेषण करने का मौका मिला है, जिससे उसकी क्षमताओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। अनौपचारिक खबरों के मुताबिक, भारत ने यह मलबा जापान जैसे देशों को जांच के लिए दिया है, जिससे चीन की मिसाइल तकनीक का रहस्य उजागर हो सकता है।
तुर्की के बायरकतार ड्रोन का भ्रमजाल टूटा
इसके अलावा, भारत ने तुर्की के बायरकतार टीबी-2 ड्रोन के मलबे को भी प्रदर्शित किया है। ये ड्रोन यूक्रेन और लीबिया जैसे संघर्षों में अपनी प्रभावशीलता के लिए जाने जाते थे, और तुर्की इन्हें दुनिया भर में एक शक्तिशाली हथियार के रूप में प्रचारित कर रहा था। हालांकि, भारत के आकाशतीर डिफेंस सिस्टम ने इन ड्रोनों को मार गिराकर उनकी वास्तविक क्षमताओं पर संदेह पैदा कर दिया है। भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने 300-400 तुर्की ड्रोन मार गिराए, जिनमें बायर टीबी-2, बाईकर वायआईएचए III कामिकेज़ ड्रोन और सोंगार्त्री व ईयात्री जैसे छोटे ड्रोन शामिल थे। यह घटनाक्रम तुर्की के ड्रोन उद्योग की साख को बड़ा झटका माना जा रहा है।