भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार मजबूत कर रहा है, जिसमें मिसाइलें, तोपें और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान जैसे आधुनिक सैन्य उपकरण शामिल हैं। देश अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए ‘आसमान से जमीन तक’ अपनी तैयारियों को पुख्ता कर रहा है। इसकी झलक हाल ही में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से दिखा दी है।
मिसाइल शक्ति में वृद्धि:
भारत की मिसाइल क्षमताएं लगातार बढ़ रही हैं। ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लेकर अग्नि श्रृंखला की बैलिस्टिक मिसाइलें देश की मारक क्षमता को बढ़ा रही हैं। इन मिसाइलों की सटीकता और विनाशकारी शक्ति विरोधियों के लिए एक बड़ा खतरा बनती हैं। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) नई पीढ़ी की मिसाइल प्रणालियों के विकास पर लगातार काम कर रहा है, जिसमें लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (LRSAM) और एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें (ATGM) शामिल हैं।
तोपखाने का आधुनिकीकरण:
भारतीय सेना अपने तोपखाने को भी आधुनिक बना रही है। बोफोर्स हॉवित्जर तोपों की सफलता के बाद, भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित धनुष तोप और अमेरिकी M777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर जैसी प्रणालियों को शामिल किया है। ये तोपें दुर्गम इलाकों में भी प्रभावी ढंग से काम कर सकती हैं, जिससे सेना की पर्वतीय और रेगिस्तानी युद्ध क्षमता में वृद्धि हुई है।
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की ओर:
भारतीय वायु सेना पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की ओर कदम बढ़ा रही है। एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किए जा रहे एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) का लक्ष्य स्टील्थ तकनीक, उन्नत सेंसर और सुपरक्रूज क्षमताओं से लैस एक स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का विमान बनाना है। इसके अलावा, भारत राफेल जैसे चौथी-प्लस पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को भी शामिल कर रहा है, जो वायुसेना की युद्धक क्षमता को मजबूत कर रहे हैं।
कुल मिलाकर, भारत अपनी सेना के तीनों अंगों – थल सेना, नौसेना और वायु सेना – को आधुनिक हथियारों और प्रौद्योगिकी से लैस करके अपनी रक्षा तैयारी को एक नए स्तर पर ले जा रहा है। यह न केवल देश की सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि क्षेत्र में एक मजबूत और विश्वसनीय शक्ति के रूप में उसकी स्थिति को भी मजबूत करता है।
थल, नभ और जल में बढ़ाई ताकत, मैदान से लेकर आसमान तक ऐसी है भारत की तैयारी
RELATED ARTICLES